चामोर्शी: अंतिम घटक के रूप में दिव्यांग व्यक्ति की गणना होती है. आज भी अनेक दिव्यांग व्यक्ति उनके अधिकारों से वंचित हैं. दिव्यांग कानून अमल में लाया गया है, लेकिन प्रत्यक्ष अमल होने में विलंब हो रहा है. जिससे दिव्यांगों को उन्हें मिलने वाली योजनाओं से वंचित रहना पड़ रहा है. ऐसा ही मामला चामोर्शी तहसील के कलमगांव के दिव्यांग देवीदास विश्वनाथ के साथ हुआ है.
सरकारी स्तर पर दिव्यांगों के कल्याण के लिए अनेक विकासात्मक योजनाएं चलाई जाती हैं. मगर वह योजना असली जरूरतमंद लाभार्थियों तक नहीं पहुंच पाती हैं. कलमगांव के देवीदास विश्वनाथ नामक युवक अपने युवावस्था में पहुंचा ही था कि, उसे ‘ब्रेन ट्यूमर’ की गंभीर बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया. बीमारी के इलाज में करीब 2 लाख रुपये चिकित्सा उपचार के लिए खर्च किया. इसके पश्चात उनकी बीमारी ठीक हुई. जैसे-तैसे 9 वीं तक शिक्षा अर्जित की.
इसके पश्चात जीवनयापन का संघर्ष शुरू हुआ. देवीदास हाथ व पैरों से दिव्यांग हैं. फिलहाल उसके परिवार में पत्नी व बच्चे हैं. जीवनयापन करने के लिए उसे भारी कष्टप्रद जीवन व्यतीत करना पड़ रहा है. सरकार की ओर से दिव्यांगों का अच्छा जीवनयापन हो, इसके लिए अनेक सुविधाएं दी जाती हैं. इतना ही नहीं तो दिव्यांगों के कल्याण के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर 3 प्रश निधि सुविधाओं के लिए दी जाती है. लेकिन ग्राम पंचायत प्रशासन से देवीदास समेत अन्य 4 दिव्यांगों को कोई सुविधा नहीं मिल रही है.
मुश्किलों भरा जीवन
देवीदास हाथ व पैरों से दिव्यांग होने से उसे कोई भी कार्य करना मुश्किल है. उसने जीवनयापन करने के लिए छोटी सी किराना दूकान शुरू की है. ऐसे में उसके पास पूंजी नहीं होने से व्यवसाय में उन्नति करने में दिक्कतें हो रही हैं. देवीदास के जीवन का अंधेरा दूर करने के लिए जनप्रतिनिधि तथा प्रशासन को ध्यान देने की आवश्यकता है. उसके पास तिपहिया साइकिल नहीं होने से आवागमन करने में काफी मुश्किलें हो रही हैं.
योजनाओं से वंचित
संविधान ने प्रत्येक नागरिकों को समान अधिकार दिया है. मगर दिव्यांगों को इससे वंचित रखा जा रहा है. अधिकारी व कर्मचारियों के दुर्व्यव्यवहार के चलते जिले के कई दिव्यांगों को उन्हें मिलने वाली योजनाओं से वंचित रहना पड़ रहा है. ग्राम पंचायत स्तर पर 3 प्रश निधि दिव्यांगों की सुविधा के लिए दी जाती है. लेकिन इस पर प्रत्यक्ष अमल होता दिखाई नहीं देता है. जिससे दिव्यांगों को हमेशा जीवनयापन के लिए संघर्ष करना पड़ता है.