- सुशिक्षित बेरोजगारों का मंत्री वडेट्टीवार को ज्ञापन
अहेरी. उपविभाग में अहेरी, भामरागड, एटापल्ली, सिरोंचा, मुलचेरा इन 5 तहसील का समावेश है. इन 5 तहसील में सुशिक्षित बेरोजगार युवकों के लिए रोजगार का किसी भी तरह का साधन उपलब्ध नहीं है. फलस्वरूप उपविभाग में बेरोजगारों की फौज खडी है. उपविभाग के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध करे, ऐसी मांग सुशिक्षित बेरोजगारों ने मदद व पुनर्वसन मंत्री विजय वड्डेटीवार को दिए हुए ज्ञापन से की है.
गडचिरोली जिला की स्थापना होकर 38 वर्ष पूरे हो रहे है. मात्र जिले में अभी तक किसी भी तरह की कंपनी अथवा उद्योग उपलब्ध नहीं है. जिल में एक भी उद्योग अथवा कारखाना न होने से जिले के बेरोजगारों को प्रशासन के नोकर भर्ती पर निर्भर रहना पड रहा है. वर्ष 2014 से महाराष्ट्र सरकार ने नोकर भर्ती लेने का प्रमाण कम करने से यहा के युवाओं के सामने रोजगार का प्रश्न निर्माण हुआ है. हाल ही में अहेरी उपविभाग में एक भी नामांकित सरकारी व्यावसायिक शैक्षणिक संस्था नहीं है. यहा के युवक व्यावसायिक शिक्षा लेने के लिए बाहर जिले में जा रहे है. उच्च शिक्षा लेकर अपने जिले में आने के बाद उन्हें नोकरी के लिए इधर उधर भटकना पड रहा है. तथा आर्थिक पिछडे रहनेवाले व्यवसाय निर्माण के लिए लगनेवाली राशि यहा के युवाओं की ओर उपलब्ध नहीं है.
आदिवासीबहुल जिले के सुशिक्षित बेरोजगार युवकों को जिले में कारखाने, उद्योग, कुटिरोद्योग व प्रशासन की सेवा में उनके शैक्षणिक पात्रता के अनुसार बडे पैमाने में शामिल करा ले, तथा जिले के उपविभाग कार्यक्षेत्र में रोजगार व स्वयंरोजगार मिले, कौशल्य विकास कार्यक्रम, रोजगार प्रोत्साहन कार्यक्रम, स्थानक उत्तर विद्यापीठ रोजगार जानकारी व मार्गदर्शन केंद्र द्वारा रोजगार का अवसर उपलब्ध करा दे अन्यथा यहा के सुशिक्षित बेरोजगार युवकों को अपने अधिकार के लिए आंदोलन करना पडेगा, ऐसा ज्ञापन में कहा गया है.
सुरजागड लोहप्रकल्प का काम ठंडेबस्ते में
जिले में खनिज संपत्ती बडे पैमाने में होने से वर्ष 2015 सुरजागड लोह प्रकल्प द्वारा उद्योग विहिरीत जिले के रूप में गडचिरोली को लगा हुआ धब्बा पोछने की क्षमता इस प्रकल्प में थी. इस प्रकल्प का काम शुरू करने के पूर्व जिले के व उपविभाग के आदिवासी युवकों को इस प्रकल्प द्वारा रोजगार का अवसर देकर काम करे, ऐसी आंस यहा के सुशिक्षित बेरोजगार युवाओं को थी. किंतु एटापल्ली तहसील का सुरजागड लोह प्रकल्प किराए तत्व पर सरकार ने अलग अलग कंपनीओं को दिया. जिससे एक कंपनी ने लोह उत्खनन शुरू किया था. वहा लोहखनिज चंद्रपूर के कंपनी में हस्तांतरण किया जा रहा था. उक्त कंपनी ने स्थानांतरित रोजगार देने के लिए तकनिक शिक्षा देने की तैयारी शुरू की थी. किंतु लोह प्रकल्प सुरजागड में खडा न रहने से तकनिकी प्रशिक्षण भी बंद किया गया.
रोजगार के लिए दुसरे राज्य में दौड
उपविभाग के इन 5 तहसील में नैसर्गिक खनिज संपन्नी बडे पैमाने में होकर वनसंपदा बडे पैमाने में है. सुशिक्षित बेरोजगारों को बडा वर्ग निर्माण हुआ है. भविष्य में इसका विपरित परिणाम इन आदिवासीबहुल जिले के बेरोजगार युवकों पर पडा. उच्च शिक्षा लेकर भी आर्थिक विषमता से यहा के युवकों को रोजगार की खोज में मध्यप्रदेश, तेलंगाणा, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ राज्य में भटकना पड रहा है.