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  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से लगी आंस

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धानोरा. बुआई के दौरान बारिश की विलुप्तता व इसके पश्चात धान फसलों पर विभीन्न कीटों के आक्रमण से धानोरा तहसील के सुरसुंडी परिसर के अनेक गांवों के धान उत्पादक किसानों के उत्पन्न में व्यापक गिरावट दिखाई दे रही है. जिससे किसान चिंताओं में नजर आ रहा है. इन किसानों को केवल प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से नुकसान मुआवजे की आंस लगी है. 

सुरसुंडी परिसर के खांबाला, मुस्का, इरुपटोला, मुरमाडी, खामतला, जयसिंगटोला, उपदल्ली, सिंदेवाही, मेंढा व अन्य गांवों में धान उत्पादक किसानों की संख्या काफी है. धान के साथ ही इस क्षेत्र में मका व मिर्च की फसलों की उगाई भी किसान करते है. मात्र सालभर का वित्तीय बजट केवल धान के भरोसे रहता है. इस वर्ष जून माह में धान बुआई के समय बारिश विलुप्त हुई थी. जिससे किसानों को दुबारा बुआई की नौबत आयी. वहीं धान रोपाई तक किसानों को केवल खेतों में पानी देने के लिए हजारों रूपये खर्च करने पडे. धान रोपाई के पश्चात भी प्रकृति की मार नहीं थमी. रोपाई के पश्चात धान पर कडपा, तुडतुडा आदि कीटों ने धान पर आक्रमण किया. जिससे अब धान पिसाई के पश्चात धान के उत्पन्न में व्यापक गिरावट आने से किसानों में मासुसी छायी है. 

सुरसुंडी परिसर के अनेक किसानों ने फसल बीमा निकाला है. जिससे इस योजना को लेकर किसान कुछ आंस रखे हुए है. मात्र फसल बीमा के साथ ही नुकसानग्रस्त किसानों को सिधे वित्तीय मदद घोषित करने की मांग हो रही है. 

बढती मजदूरी किसानों के लिए सिरदर्द 

वर्तमान स्थिती में धान कटाई व बांधनी के कार्य को गति आयी है. सुरसुंडी परिसर के धान उत्पादक किसान भी इसके लिए कार्य में जुटे है. मात्र मजदूर उपलब्ध नहीं होने से किसानों को व्यापक परेशानी हो रही है. ऐसे में कटाई व बांधनी की मजदूरी भी बढी है. जिससे किसानों का सिरदर्द बढ गया है. मजदूर समय पर उपलब्ध नहीं होने से किसानों को बढी मजदूरी में भी कृषिकार्य करना मजबूरी बन गया है. 

उत्पादन खर्च निकलना भी मुश्किल

इस वर्ष शुरूआत में ही प्रकृति के अनियमित रूप से किसानों को व्यापक फटका लगा. अनेक किसानों को दुबार बुआई तो कुछ किसानों को तिसरी बार बुआई करनी पडी. इसके पश्चात रोपे गए फसलों को बचाने के लिए मोटरपंप से पानी दिया गया. इसके पश्चात फसले अच्छीखासी खडी थी. ऐसे में विभीन्न कीटों के प्रादुर्भाव से किसानों पर व्यापक संकट निर्माण हुआ. धान फसल बचाने के लिए किसानों को व्यापक महंगे कीटनाशकों का छिडकांव करना पडता. जिससे इस वर्ष धान फसलों पर अपेक्षा की तुलना में व्यापक खर्च करना पडा है. अब धान फसल हाथ में आने के कगार पर थ्ज्ञी, ऐसे में फिर से तुडतुडा, करपा इन कीटों के लिए धान फसलों का व्यापक नुकसान हुआ. ऐसे में उत्पादन में व्यापक गिरवाट होने से इससे उत्पादन खर्च निकलना भी मुश्किल होने की बात किसानों द्वारा कहीं जा रही है.