Forest
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    गड़चिरोली. तहसील के पोर्ला वनपरिक्षेत्र में सर्वाधिक बाघों का विचरण है. तहसील की अधिकत्तर खेती जंगलों से सटी होने से बरसात के दिनों में खेती करनेवालों को बाघ से खतरा होने की संभावना है. मानव व वन्यजीव संघर्ष टालने के लिए पोर्ला वनपरिक्षेत्र अधिकारी कार्यालय की ओर से ग्राम पंचायत को पत्र भेजकर जंगल में न जाए, इसके लिए ढ़िंढोरा पिटकर सूचित करने की बात भी कहीं है. मात्र वनों से सटे खेतों में खेती करनेवाले किसानों को तो जाना उनकी मजबूरी है. जिससे खतरा बढ़ गया है. 

    3 वर्षो से बाघों का विचरण बढ़ा 

    गड़चिरोली जिले के जंगल में करीब 30 वर्ष पूर्व बाघों का बसेरा था. इसमें प्रमुखता से देसाईगंज, कुरखेड़ा, गड़चिरोली, धानोरा आदि तहसीलों का समावेश है. इसके बाद जिले के बाघ यहां स्थायी नहीं होते थे. शितकाल व धूपकाले में निवास करने के बाद वे बरसात के पूर्व ही चंद्रपूर जिले में स्थलांतरीत होते थे. मात्र बिते 3 वर्षो से जिले में बाघ का विचरण बढ़ा है, साथ ही वे स्थायी भी हुए है. वड़सा वनविभाग व गडचिरोली वनविभाग के धानोरा तहसील चातगांव वनपरिक्षेत्र में बाघ का विचरण है.

    इसके साथ ही अहेरी, एटापल्ली तहसील में भी बाघ के दर्शन हुए है. मात्र गड़चिरोली तहसील में बाघ की दहशत अधिक है. 6 नवंबर  2020 को बाघ के हमले में राजगाटा चक के किसान की मृत्यू हुई थी. यह पहली घटना थी. वहीं 18 मई को दिभना के महिला को बाघ ने हमला कर मौत के घाट उतारा. यह अंतिम घटना हुई. इस बिच बाघ के हमले की अनेक घटनाएं हुई है. 

    बाघ के हमले मे 8 लोगों की गई जान 

    जिले में विगत कुछ माह से बाघ के हमले की घटनाएं बढ़ गई है. इस दौरान बिते 8 माह के अंतराल में गड़चिरोली तहसील में बाघ के हमले में 6 महिला व 2 पुरूष ऐसे 8 लोगों की मृत्यू हुई है. जिसमें राजगाटा चक, इंदिरानगर, गोगांव, धुंडेशिवणी, महादवाडी, कुराड़ी व राजगाटा माल की महिला व पुरूषों का समावेश है. वहीं दिभना व कुराडी का पुरूष व कलमटोला चक की एक महिला बाघ के हमले में बाल बाल बची थी. उन्हे बाघ ने घायल किया है. 

    बाघ के साथ तेंदुआ व भालू का भी विचरण 

    पोर्ला वनपरिक्षेत्र में करीबन 15 से 20  किमी के दायरे में चहुआर जंगल परिसर है. इस जंगल में वन्यप्राणी बड़ी संख्या में है. घना जंगल, पहाड़ीयां तथा छोटे नाले, झरने होने से बाघों को पानी व शिकार की भौगोलिक स्थिती है. जिससे यहां बाघ का विचरण हो रहा है. तहसील के अधिकत्तर गांव के जंगलों से ही खेती है. जिससे किसान खरीफ सीजन में किसानों को खेती करने जाना ही पड़ता है. ऐसे स्थिती में बाघ से खतरा हो सकता है. यहां बतां दे कि, यहां बाघ के साथ हे तेंदुआ व भालू का भी विचरण है. जिससे किसानों को अधिक खतरा हो सकता है. 

    किसानों की बढ़ी चिंता

    पोर्ला वनपरिक्षेत्र अधिकारी कार्यालय की ओर से पोर्ला, चुरचुरा, सिर्सी, मरेगाव आदि क्षेत्र सहाय्यक कार्यालय अंतर्गत आनेवाले ग्राम ग्रामपंचायतों को पत्र भेजकर नागरिकों में जनजागृति करने हेतु गांव में ढ़िंढोरा पिटने की सूचना भी दी है. चुरचुरा, महादवाडी, कुराडी, गोगांव, अडपल्ली, दिभना, राजगाटा, कलमटोला, आंबेटोला, आंबेशिवणी, देशपूर, कुरंझा, देलोडा, धुंडेशिवणी, मरेगाव, टेंभा, चांभार्डा, बोथेडा, मुरुमबोडी आदि गांव जंगल से सटे है. उक्त गांवों के परिसर में बाघ का बसेरा है. इसमें से केवल पोर्ला वनपरिक्षेत्र के ग्राम पंचायतों को ही पत्र भेजा गया है.