2 वर्षो से आदिवासीयों के स्वास्थ्य की रिपोर्ट प्रलंबित – डा. बंग

  • स्वास्थ्य मंत्री ने दिए कृति करने का आश्वासन
  • समिति के अध्यक्ष डा. बंग ने दी जानकारी

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गडचिरोली. 9 अगस्त को विश्व मुलनिवासी दिवस के उपलक्ष्य में देश में रहनेवाले 11 करोड आदिवासीयों के स्वास्थ्य की समस्या हल करने के लिए समिति के अध्यक्ष डा. अभय बंग ने आदिवासी स्वास्थ्य की रिपोर्ट तैयार कर केंद्र के स्वास्थ्य विभाग की ओर पेश की है. मात्र इसे 2 वर्ष का समय बितने पर भी कोई कृति नहीं हुई. 2 दिन पूर्व डा. अभय बंग ने केंद्र सरकार को इन सिफारिशो पर कृति करने के लि पत्र लिखा था. इस पत्र द्वारा लिखे गए आह्वान को केंद्र के स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन ने सकारात्मक प्रतिसाद दिया है. 

केंद्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग तथा आदिवासी कल्याण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में डा. अभय बंग इननकी अध्यक्षता में यह तज्ञ समिति गठीत की गई थी. पद्मश्री डा. अभय बंग सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र तथा गडचिरोली जिले में विगत 35 वर्षो से कार्य कर रहे है. कुल 12 तज्ञों की इस समिति ने साडे चार वर्ष तक कार्य कर केंद्र सरकार को 9 अगस्त 2018 को यह रिपोर्ट पेश की थी. दोनों मंत्रालयों ने उक्त रिपोर्ट का स्वागत किया था. तत्कालिन स्वास्थ्य मंत्री नड्डा ने उसके तहत कृति करने का आश्वासन दिया था. इस बात को अब 2 वर्ष पूर्ण हो रहे है. मात्र इसपर कोई कृति नहीं हुई. 

आदिवासींयों के स्वास्थ्य की स्थिती निचले स्तर पर होने का वास्त इस तज्ञ समिति द्वारा तैयार किए गए रिपोर्ट से सामने आ रही है. वहीं स्वास्थ्य यंत्रणा की सदोष व्यवस्था, कम निधी, कम सेवा, कम गुणवत्ता तथा कम प्रेरणा यह स्थिती भी खतरनाक है. इस समिति ने आदिवासी स्वास्थ्य के 10 प्रमुख प्रश्न तथा उसपर जवाब रिपोर्ट में रखी है. सबसे महत्वपूर्ण यानी इस समिति ने आदिवासी स्वास्थ्य का राष्ट्रीय कृति प्रारूप तैयार करने का सुचित किया है. जिसके तहत वार्षिक प्रति आदिवासी व्यक्ति के पिछे 2500 रूपये या कुल 27500 करोड रूपये आदिवासी स्वास्थ्य के लिए राज्य व केंद्र सरकार मिलकर खर्च करे ऐसी सिफारीश की गई है. निती आयोग ने भी इस रिपोर्ट पर आधारित कृति करने का स्वास्थ्य मंत्रालय को सुचित किया है.

2 दिन पूर्व डा. अभय बंग ने केंद्र सरकार को इस सिफारीश पर कृति करने के लिए एक पत्र लिखा था. विगत 2 वर्षो में करीबन 15 लाख आदिवासी लोगों की देश में मृत्यू हुई.  वहीं मलेरिया, कुपोषण, न्युमोनिया, डायरिया, टीबी, सर्पदंश जैसे बिमारीयां आदिवासी की जान अब भी ले रहे है. स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में हाल ही में कोवीड 19 में आदिवासीयों में व्यापक कहर निर्माण कर सकता है. स्वयं स्वास्थ्य चिकित्सक होनेवाले तथा पोलिओ, तमाकू के के खिलाफ किए गए प्रयासों के चलते पहचाने जानेवाले डा. हर्षवर्धन यह डा. अभय बंग के पत्र का जवाब देते हुए तत्काल कार्यवाही करने का आश्वासन दिया है.