आदित्य की मृत्यु होने पूर्व की तस्वीर
आदित्य की मृत्यु होने पूर्व की तस्वीर

  • मुख्य वनसंरक्षक ने दिए जांच के आदेश

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अहेरी. पर्यटकों के आकर्षण का कंद्र बने राज्य के के एकमात्र कमलापूर में स्थित हाथीकैम्प में 26 जून को 4 वर्षीय आदित्य नामक हाथी की मृत्यू हुई थी. वनविभाग के लापरवाही के कारण ही हाथी की मृत्यू होने की बात कहीं जा रही है. 2 बार किचड में फंसने से आदत्यि को अपनी जान गवानी पडी. ऐसी जानकारी प्राप्त हुई है. जिससे इस मामले की ओर मुख्य वनसंरक्षक द्वारा विशेष ध्यान दिया जा रहा है. मामले की गंभिरता को देख मुख्य वनरक्षक रामाराव ने इस मामले की विस्तृत जांच करने के आदेश निर्गमित किए है. जिससे वनविभाग के अधिकारी व कर्मीयों में खलबली मची है. 

तहसील मुख्यालय से 40 किमी दूरी पर स्थित होनेवाले कमलापूर परिसर के दामरंचा मार्ग पर प्राकृतिक सौदय से भरा से भरा तालाब है. इस जगह विगत अनेक वर्षो से सरकारी हाथी कैम्प बसा है. इस कैम्प में के 10 हाथी हमेशा पर्यटकों के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र बने है. इसमें से 5 नर तो 5 मादा हाथी थे. मात्र विगत अनेक वर्षो से रक्ति पद न भरे जाने से रोजंदारी कर्मीयों के मार्फत हाथी की निगरानी शुरू है. इस संदर्भ में निरंतर पालकमंत्री, वनमंत्री, मुख्य वनसंरक्षक को ज्ञापन पेश किया गया. मात्र इस ओर हमेशा अनदेखी की गई. 

10 जुन को हुई मुसलाधार बारिश के कारण आदत्यि नामक 4 वर्षीय हाथी किचड में फंसा. सुबह तालाब में मछुआरी करनेवाले व्यक्तियों को हाथी किचड में फंसा दिखाई दिया. इसकी जानकारी ग्रामीणों के साथ ही वनकर्मीयों को दी गई. ग्रामीणों की सहायता से आदत्यि को बाहर निकाला गया था. मात्र आदत्यि की तबियत बिघड गई थी. पशुवैद्यकीय अधिकारी के उपस्थिती में उसपर उपचार शुरू था. उसपर पशुवैद्यकीय अधिकारी के उपस्थिती में उपचार शुरू था. उसके निगरानी के संदर्भ में विशेष ध्यान रखा जाएगा, ऐसी बात वरीष्ठ अधिकारियों द्वारा कहीं जा रही थी. मात्र उचित निगरानी के अभाव में 26 जून को आदत्यि फिर से पाईपलाईन द्वारा खुदाई किए गए किचड मं फंसने की जानकारी सामने आयी है. किचड में पूर्णत फंसने से उसकी केवल सुंड केवल उपर के हस्सिे में थी. आदत्यि को उस पाईपलाईन के गड्डे से बाहर निकालने में सफलता मिली. मात्र अधिक समय तक किचड में होने से उसे सांस लेने के लिए दक्किते नर्मिाण हो रही है. ऐसे में उसकी मृत्यू हो गई. 

आदत्यि का उचित ध्यान रखा जाता तथा समय पर उपचार होता तो आदत्यि की जान बच सकती थी. ऐसी बात ग्रामीणों द्वारा कहीं जा रही ह. इस मामले में वनविभाग की लापरवाही जम्मिेदार होने का आरोप करते हुए वस्तिृत जांच की मांग ग्रामीणों द्वारा कहीं जा रही है. मामले की गंभिरता को ध्यान में लेते हुए वनविभाग के मुख्य वनसंरक्षक एस. वी. रामाराव ने वस्तिृत जांच के आदेश आदेश नर्गिमित किए है. 

दोषी पाए जाने पर होगी कार्रवाई 
आदित्य की मृत्यू संदर्भ में सहायक वनसंरक्षक को जांच के निर्देश दिए गए है. जांच के दौरान जो अधिकारी तथा कर्मी दोषी पाए जाने पर उनपर कानुन कार्रवाई की जाएगी. ऐसी जानकारी मुख्य वनसंरक्षक एस.वी. रामाराव ने दी है.