मेडीगड्डा बांध फिर साबित हो सकता है, नुकसानदेह

  • प्रभावित क्षेत्र के चिंताग्रस्त किसानों ने सौंपा ज्ञापन
  • सर्वे पूर्ण करने की मांग

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सिरोंचा. तहसील में मे तेलंगाना सरकार द्वारा निर्मित  मेड़ीगड्डा बांध को लेकर स्थानीय लोगों के अलावा प्रभावित क्षेत्र के किसानों मे आक्रोश आज भी बरकारार है। अनुमानित प्रभावित क्षेत्र के किसान जिनको आज भी अपनी भूमि की मुआवजा नहीं मिला है, उन्हे फिर से इस बार बांध के पानी से अपनी फसल नष्ट होने का ड़र  सताने लगा है। इसको लेकर उन्होने दुबारा स्थानीय तहसील कार्यालय मे दस्तक दी है। कार्यालय पहुंचे प्रभावित क्षेत्र के किसानों ने ज्ञापन के माध्यम से अपनी आने वाले मुसीबत से अवगत कराया है। जबकी क्षेत्रीय सियासतदार लगातार इसको लेकर स्वयं को प्रभावितों के हितैषी साबित करने के लिये आवाज बुलंद कर रहे है।

तहसील के पोचमपल्ली के समीप प्राणहिता नदी पर तेलंगाना सरकार द्वारा निर्माण किया गया मेड़ीगड्डा बांध अपनी निर्माण अवस्था से ही स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं लोगों का आक्रोश झेलता आया है। इसको लेकर अलग अलग स्वरूपों मे विरोध प्रदर्शन भी हुए है। जो की कुछ समय तक चर्चित भी रहे है। मगर प्रभावित किसानों इसका आज भी अपनी जमीन का सर्वे कार्य के पूर्ण नहीं होने के चलते मुआवजा नहीं मिल पाया है। वे आज भी अपनी भूमि एवं पैदा की जाने वाली फसलों को लेकर चीतिंत है। 

बीते वर्ष भी रबी एवं खरीफ़ फसल के दौरान बांध के पानी से नष्ट हुई फसल के क्षतिपूर्ति की मांग के लिए आंदोलन किया वह भी मिलने में विलंब होने से नाराजगी है। इसको लेकर राजनितिक क्षेत्र से जुड़े हुए निर्वाचित जनप्रतिनीधियों ने भी आवाज बुलंद की थी। इन सबके के मद्देनजर वर्तमान राज्य सरकार ने जांच कमेटी का गठन किया था। जिससे प्रभावितों मे आस जगी थी। प्रभावितों ने समय के साथ मांगों मे बढोत्तरी करते हुए प्रभावित भूमि का वर्तमान समय के अनुसार मूल्यांकन करना, भूमि के बदले भूमि, प्रभावित परिवारों के सदस्यों को रोजगार आदि की मांग उठने लगी है। 

जबकी प्रभावित किसानों मे इस बात को लेकर भी आक्रोश है की उन्हे  बांध के पानी से नष्ट हुई अपनी फसल की क्षतिपूर्ति राशि देने में तेलंगाना सरकार विलंब करती है। इसका असर उनके वित्तीय क्षमता पर पड़ रहा है। समय पर तेलंगाना सरकार क्षतिपूर्ति राशि मुहैय्या कराती है तो वे अपने बाद के फसल मे उस राशि का उपयोग कर सकते है।