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    गड़चिरोली. लॉकडाउन से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में बंद पड़ी अनेक गावों की बस सेवा अब तक शुरू नहीं हो पायी है. जिसके कारण जिले के दुर्गम क्षेत्र में बसी तहसीलों के नागरिकों को बसेस के अभाव में भारी त्रासदि का सामना करना पड़ रहा है. बता दे कि, रापनि द्वारा कुछ ही गांवों में बसेस चलाए जा रहे है. जिसके कारण अनेक गांवों के लोगों को रापनि की बससेवा का लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिससे मजबूरी में ग्रामीण क्षेत्र के लोग निजि  वाहनों का सहारा लेते दिखाई दे रहे है.

    वर्तमान स्थिति में खेतीकार्य समेत शैक्षणिक सत्र शुरू होने के कारण लोगों को यहां से वहां सफर करना पड़ रहा है. लेकिन रापनि बस ही उपलब्ध नहीं होने से अनेक लोगों के काम समय पर नहीं हो पा रहे है. ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को राहत देने के लिये बस सेवा शुरू करने की मांग अब जोर पकड़ रही है.

    तहसील मुख्यालय में जाने के लिये बसेस उपलब्ध नहीं

    बता दे कि, अनलॉक की प्रक्रिया के बाद शहरी क्षेत्र समेत ग्रामीण परिसर के विभिन्न मार्गो पर बससेवा पूर्ववत शुरू की गई. शुरूआत के दौर में यात्रियों का आवश्यकता नुसार प्रतिसाद नहीं मिल पा रहा था. मात्र वर्तमान स्थिति में धिरे-धिरे यात्रि रापनि की बसेस में सफर कर रहे है. लेकिन अब तक जिले की दुर्गम क्षेत्र में बसी तहसीलों के दुर्गम क्षेत्र तक रापनि की बस नहीं पहुंच पा रही है.

    जिसके कारण यात्रियों को निजि वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है. ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्र के लोग प्रतिदिन विभिन्न कार्यो के लिये तहसील मुख्यालय में आते है. ऐसे में उन्हें समय पर वाहन उपलब्ध नहीं होने के कारण भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वर्तमान स्थिति में बारिश का मौसम शुरू होकर सड़कों की हालत खस्ता हो गयी है. जिससे ऐसे सड़कों पर दुपहियाओं से सफर करना मुश्किल हो गया है.

    प्रति वर्ष बारिश में यही स्थिति

    जिले की ग्रामीण क्षेत्र में बसे तहसील के दुर्गम क्षेत्र के गांवों में जाने के लिये पक्की सड़क नहीं है. जो सड़के है, वह पुरी तरह खस्ताहाल हो गयी है. वहीं अनेक नदी, नालों पर पुलियाओं का निर्माण नहीं किया गया है. जिसके कारण बारिश के दिनों में अनेक गांवों का तहसील मुख्यालय समेत जिला मुख्यालय से संपर्क टूट जाता है. ऐसे स्थिति में भी दुर्गम क्षेत्र के नागरिक निजि वाहनों से जानलेवा सफर करते है. बारिश के दिनों में नालों पर पानी भरा रहने के बावजूद भी लोग अपनी जान मुठ्ठी मेंं लेकर नाला पार कर तहसील मुख्यालय में पहुंचते है. प्रति वर्ष यही स्थिति देखने मिलती है.