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चामोर्शी: महाराष्ट्र के कुछ जिलों में बर्ड फ्लू का संकट निर्माण हुआ है. विदर्भ के अमरावती जिले में भी मुर्गीयों की मौते होने लगी है. जिसके मद्देनजर स्थानीय पशुसंवर्धन विभाग सतर्क होकर आवश्यक वह सतर्कता बरत रहा है. तहसील में अबतक कहीं भी बर्ड फ्ल्यू का प्रवेश नहीं हुआ है. मात्र पशुसंवर्धन विभाग सतर्क हुआ है. नागरिक उचित ध्यान रखे, ऐसा आह्वान पंचायत समिति के पशुधन विकास अधिकारी डा. सागर डुकरे ने किया है.

फ्ल्यू यह बिमारी वायरस से होनेवाली संक्रमित बिमारी है. यह वायरस प्रमुखता से स्थलांतरित पंक्षी (जैसे बदक, हंस, पानपक्षी) में पाया जाता है. उनके द्वारा कुक्कूट पक्षीयों को इसका प्रचार होता है. इस बिमारी का संक्रमण व मरने का प्रमाण सौम्य स्वरूप से 100 प्रश तक पाया जाता है. बिमार पक्षी कम खाते है, पक्षी शिंकते है, खांसते है. सांस लेने की गति बढ जाती है. नाक से चिकट द्रव निकलता है, तुरा व गलोत में सुजन आती है. काले-निले पडते है. पैरों पर रक्तस्त्राव के बिंदू दिखाई पडते है. विष्ठा पतली होती है. पक्षीयां के अंडे उत्पादन घटता है, अंडे कवचरहीत या कमजोर कवच के रबर जैसे निर्माण होते है. कभी कभी तो पक्षीयों में बडी मात्रा में कोई लक्षण नहीं दिखाई पडते है, मात्र अचानक उनकी मौत होती है. बाधित क्षेत्र के पक्षीखाद्य इन्हे नष्ट करना व इस वायरस का संक्रमण रोकना यह इसपर उपचार है. 

बर्ड फ्ल्यू होने का खतरा किसे है ? 

मुर्गीयां, बदक पालतू हो, उन्हके संपर्क में आने या पोल्ट्री फार्म में जहां भारी मात्रा में मुर्गीयां है या मुर्गीयों का मास बेचनेवालों से करीबी संपर्क आए हो इससे संक्रमण हो सकता है. जिससे पक्षीयों का नियोजन करते समय रबर ग्लोव्हज तथा मास्क, फेस शिल्ड का उपयोग करे, देश में अनेक जगह पक्षीयों में बर्ड फ्ल्यू संक्रमण पाया गया है, मात्र मानव में अबतक यह संक्रमण नहीं पाया गया है. बर्ड फ्ल्यू का प्रसार बाधित पक्षीयों के कारण होता है. बर्ड फ्ल्यू का वायरस 70 अंश सेल्सिअस पर नष्ट होता है. भारतीय खाद्य संस्कृति में अंडे, चिकन 100 अंश सेल्सिअस से अधिक तापमान में उबाले, पकाएं जाने से इस वायरस का प्रसार मानवों में होने की संभावना कम होती है. 

ऐसा रखे ध्यान 

कच्चे चिकन या कच्चे अंडे न खाएं, प्रतिबंधित उपाय के तौर पर व्यावसाईक कुक्कुट पक्षीगृह चालक पक्षीयों की असाधारण मृत्यू की जानकारी तत्काल सूचित करे, ग्लोव्हज व मास्क का उपयोग करे, निरंतर हाथ धोए, सॅनिटायझर का उपयोग करे, हाथ चेहरे, नाक, मुहं को नन लगाए, पालतू पक्षी अन्य पक्षी या स्थलांतरीत पक्षी मरते दिखाई देने पर उसका प्रबंधन स्वयं न करते हुए पशुवैद्यकीय अस्पताल से संपर्क करे, कुक्कुट  पक्षीगृह व परिसर का नियमित निर्जंतूकीकरण करे.

अफवाओं पर विश्वास न रखे -डा. डुकरे

कुक्कुट पक्षीगृह परिसर में जैवसुरक्षा नियमों पर अमल करे, छोटे बच्चे बिमार मुर्गीयों के संपर्क में नन आए, इसका ध्यान रखे, संभवत घरेलू मुर्गीयों से दूरी बनाएं रखे, घर में पालतू मुर्गीयों का उपयोग बंद करे, मुर्गीयों या पक्षीयों के संपर्क में आने के पश्चात हाथ साबुन से धोएं, बिमार मुर्गीयों को अन्य स्वस्थ्य मुर्गीयों से दूर रखे, अफवाओं पर विश्वास न रखे तथा अफवाएं न फैलाएं ऐसा आह्वान पंस के पशुधन विकास अधिकारी डा. सागर डुकरे ने किया है. 

10 किमी परिसर में मुर्गीया बिक्री पर प्रतिबंध 

राज्य में बर्ड फ्लू इस संक्रमित बिमारी के मद्देनजर गडचिरोली शहर से 10 किमी दूरी के परिसर में मुर्गीया तथा अन्य पक्षीयों के खरीदी, बिक्री, बाजार, मेला, प्रदर्शन इसपर आगामी आदेश तक पाबंदी लगाई गई है. ऐसी बात जिलाधिकारी ने सूचित की है. गडचिरोली शहर के फुले वार्ड में स्थित एक कुक्कुट पालन केंद्र के 100 मुर्गीयों में से 3 मुर्गीयां मृत अवस्था में पाए गए है. उसके नमुने नागपुर विभागीय प्रयोगशाला में भेजे गए है. उनकी मौत किस कारणवश हुई है, इस संदर्भ का निष्कर्ष अबतक प्राप्त नहीं हुआ है.

मात्र सतर्कता के तौर पर फुले वार्ड में सर्वेक्षण का कार्य पूर्ण होने तक गडचिरोली शहर से 10 किमी दूरी तक के परिसर में मुर्गीयां तथा अन्य पक्षीयों की बिक्री, खरीदी, यातायात, बाजार इसपर प्रतिबंध लगाया गया है. आदेश का पालन न करनेवाले व्यक्ति, संस्था व समुह पर संक्रमित बिमारी प्रतिबंध कानुन 1897 के तहत कार्रवाई की जाएगी. ऐसी बात प्रभारी जिलाधिकारी अनंत वालस्कर ने सूचित की है.