75 हजार की आबादी पर एक भी विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं

  • संसाधनों की कमी, चिकित्सा के लिए तेलंगाना जाने को मजबूर
  • बेहतर सुविधाओं के लिए नागपूर पर निर्भर

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सिरोंचा. सिरोंचा तहसील अस्तित्व में आये दशकों बीत गए है. मगर आज भी यहां पर बुनियादी सुविधाओं में समयानुसार विकास नही हो पाया है. चाहे यह सुविधाएं सड़कों को लेकर हो, स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर हो, शुध्द पेयजल को लेकर हो या फिर बेहतर परिवहन एवम संचार साधनों के उल्लेखनीय सुविधाओं को लेकर हो. इनमे से प्रमुख बुनियादी सेवा स्वास्थ्य सेवाएं तहसील में उल्लेखनीय नही है. जहाँ संसाधनों की कमी, स्टाफ की कमी, विशेषज्ञ चिकित्सकों की अनुपलब्धता आज भी बरकारार है. जिसके चलते तहसील के लोग अपने स्वास्थ्य से जुड़ी हुई समस्याओं को लेकर पडौसी राज्य तेलंगाना एवं नागपुर या फिर चंद्रपुर पर निर्भर है. जहाँ पहुंचने में घंटो का समय लग जाता है. आज के हालातों में संक्रमण के चलते तेलंगाना जाना आसान नही रहा है.

सिरोंचा तहसील की आबादी लगभग 75 हजार के करीब बताई गई है. जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग ने जरुरत के मुताबिक निश्चित दूरी के आधार पर स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना की है. मगर संसाधनों की कमी, स्वास्थ्य परीक्षणों के लिए आवश्यक मशीनरी एवं उन्हें चलाने वाले विशेषज्ञ साथ ही विशेषज्ञ डॉक्टरों की अनुउपलब्धता के चलते स्थानीय लोग नागपुर, चंद्रपुर एवं पडौसी राज्य पर निर्भर होकर अपनी स्वास्थ्य की देखभाल कर पा रहे है. तहसील की स्वास्थ्य विभाग पर नजर डाला जाए तो पाएंगे कि यहां पर स्टाफ की कमी, सोनोग्राफी की अनुउपलब्धता , स्केनिंग सुविधा की कमी, एक्सरे सुविधा की निरंतर सुविधा में कमी, कभी कभार दवाओं की कमी होने की  समस्या बनी हुई है. जिसको लेकर स्थानीय लोगों द्वारा मिन्नतें कि गयी. मगर निराशा ही हाथ लगी है. 

वर्तमान हालात में तहसील में शल्य चिकित्सक, जनरल पीजीसीयन,न्यूट्रिशन, आर्थोपेडिक्स, न्यूरोलॉजिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट, शिशु रोग विशेषज्ञ,नेत्र रोग विशेषज्ञ, कान एवं दंत रोग विशेषज्ञ, त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है. जबकि तहसील की आबादी 75 हजार के आसपास बताई है. इस आबादी को तहसील में मौजूद दर्जन भर एमबीबीएस डॉक्टरों एवं बीएएमएस डॉक्टरों के भरोसे अपने स्वास्थ्य का देखभाल करना होता है. उसके अलावा तहसील में निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य केंद्रों का विकास ना के बराबर है. जबकी तहसिल मे मौजूद स्वास्थ्य अमला अपनी कार्य शैली के बदौलत बेहतर परिणाम दे रही है. आज के समय मे स्थानीय स्वास्थ्य महकमे पर दोहरी जिम्मेदारी आ गयी है. महामारी के मद्देनजर इन्हे ही फ्रंट लाईंन वारियर्स की भुमिका अदा करनी पड रही है. इसके साथ ही मौसमी बिमारियां एवं अन्य तरह के मरीजों का इलाज इन्ही के द्वारा किया जा रहा है. अगर मंग के अनुरुप संसाधन एवं पर्याप्त स्टाफ उपलब्ध हो जाये तो स्थिति बेहतर हो सकती है.

स्थानीय लोगों की माने तो नगर में स्थित ग्रामीण रुग्णालय को उपजिला स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा देने की मांग को लेकर शासन प्रशासन से पत्र व्यवहार किया गया था. मगर अबतक कोई पहल होते नही दिख रही है. जिससे स्थानीय लोगों में निराशा देखी जा रही है. हालांकि हाल ही के दिनों में सोनोग्राफी मशीन उपलब्ध कराई गई है. मगर उससे चलाने वाले नही होने के कारण वह भी अनुपयोगी साबित हो रही है. सोनोग्राफी सुविधा के अभाव में तहसील के लोगों को उपविभाग मुख्यालय अहेरी जाने की मजबूरी हो रही है. जबकि अहेरी जाने जिस सड़क मार्ग का प्रयोग किया जाना है वह इन दिनों कमरतोड़ सड़क के नाम से मशहूर हो रहा है. इस मार्ग पर 100 किलोमीटर की सफर में 200 से ज्यादा गड्ढे बने हुए है. ऐसे में गर्भिणी महिलाओं को इस मार्ग पर सफर करना आसान नही माना गया है.                                     

इस संदर्भ में तहसील स्वास्थ्य अधिकारी मनोहर कन्नाके से बात कि गयी तो उन्होंने बताया है कि वास्तु स्थिति से जिला स्वास्थ्य विभाग को अवगत कराया गया है. मौजूदा स्टाफ के बलबूते बेहतर कार्य किया जा रहा है. दोहरी जिम्मेदारी के चलते कार्य का दबाव बढ़ गया है. फिर भी मौजूदा स्टाफ बेहतर कार्य कर रही है.