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    धानोरा. गत वर्ष खरीप सत्र में किसानों से खरीदा गया धान एक वर्ष बित जाने के बावजूद भी उठाए नहीं जाने से तहसील के अनेक सरकारी धान खरीदी केंद्रों पर लाखों क्विंटल धान खुले में पड़ा है. मानसून को शुरूआत होने के बावजूद भी खुले में पड़ा धान नहीं उठाए जाने के कारण करोड़ों रूपयों का धान सडऩे की संभावना जताई जा रही है. बारिश के दिनों मेंं धान के बोरों को त्रिपाल का सहारा होने के कारण खुले में पड़ा धान का क्या हो? ऐसा सवाल उपस्थित किया जा रहा है.

    धानोरा उपप्रादेशिक कार्यालय अंतर्गत तहसील के आदिवासी विविध कार्यकारी संस्था की ओर से पिछले खरीप सत्र में समर्थन मूल्य पर किसानों से धान खरीदी किया गया था. पिछले 40 वर्षो से इस तहसील में धान खरीदी की प्रक्रिया शुरू है. मात्र अब तक स्थिति में सुधार नहीं हुआ है. गोदाम के अभाव में त्रिपाल ढककर रखने, जमीन पर धान खरीदी, हमाल के बगैर धान केंद्र बंद रखने जैसी स्थिति में अबतक सुधार नहीं हुआ है. अनेक धान खरीदी केंद्रों पर धान रामभरोसे पड़ा है.

    लाखों क्विंटल धान भिगने की संभावना

    वर्तमान में मानसून को शुरूआत हो गयी है. ऐसा होते हुए भी अनेक केंद्रों पर खुले में पड़े धान उठाए नहीं गए है. धानोरा तहसील के 13 में अनेक धान खरीदी केंद्रों के पास गोदाम का अभाव है. जिसके कारण मजबूरन धान खुले में रखे गये है. जिसका खामियाजा इस बरसात में धान भिगकर करोड़ों रूपयों का नुकसान होने की संभावना  जताई जा रही है. जिससे खुले में पड़े धान को तत्काल उठाने की मांग की जा रही है.

    गोदाम निर्माण की ओर बेध्यानी

    प्रति वर्ष संबंधित केंद्रों पर किसानों से लाखों क्विंटल धान खरीदा जाता है. मात्र तहसील के अनेक केंद्रों पर धान रखने के लिये गोदाम ही नहीं  होने की जानकारी मिली है. कुछ केंद्र किराए का मकान लेकर धान रख रहे है. मात्र अधुरे जगह के चलते खरीदा गया धान खुले मेंं रखने की नौबत आन पड़ी है. पिछले अनेक वर्षो से यह स्थिति कायम होते हुए भी सरकार द्वारा संबंधित केंद्रों पर गोदाम निर्माण करने की ओर बेध्यानी की जा रही है. जिसका खामियाजा प्रति वर्ष किसानों का धान खुले में पड़ा रहता है.