गड़चिरोली. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने संपूर्ण राज्य को चपेट में लिया है. इससे राज्य का सबसे पिछड़ा विशेषत: आदिवासी बहुल गड़चिरोली जिला भी अछुता नहीं है. इस जिले के शहरी क्षेत्र समेत ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्र में भी कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. जिसका नतिजा अब दुर्गम क्षेत्र में बसे आदिवासी गांवों के नागरिक भी कोरोना को लेकर जागृत होते दिखाई दे रहे है.
विशेषत: उनके रोजी-रोटी के साधन बने वनोपज का संकलन करने से इनकार करते नजर आ रहे है. आदिवासी समुदाय का जीवन केवल वनोपज पर ही निर्भर होता है. लेकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते अनेक आदिवासी गांवों के नागरिकों को महुआ फुल का संकलन नहीं किया. जबकि महुआ फुल संकलन आदिवासी के लिये वित्तीय आय का प्रमुख स्त्रोत है.
वनप्रबंधन समितियों के खाते में नहीं है पैसा
जिले में जीवनयापन कर रहा आदिवासी समुदाय यह वनोपज के भरोसे पर अपना पेट भरता है. जंगल से मिलनेवाले महुआ फुल, महुआ बीज, हिरडा, बेहला, तेंदू फल चारा आदि समेत विभिन्न वनोजप का संकलन करते है. वहीं संकलन किया गया वनोपजन वनविभाग द्वारा चलाए जा रहे वन प्रबंधन समिति के पास भेजते है.
लेकिन वर्तमान स्थिति में अनेक वन प्रंबधन समिति के खाते में पैंसे ही नहीं होने के कारण यह समितियां आदिवासी लोगों से वनपोज नहीं खरीद रहे है. जिसका खामिजाया आदिवासी नागरिकों को कम दाम में निजि व्यापारियों को भेजना पड़ रहा है. जिससे वनविभाग वन प्र्रबंधन समिति के खाते में पैसे जमा कर आदिवासी नागरिकों से वनोपज खरीदे, ऐसी मांग क्षेत्र के नागरिकों द्वारा की जा रही है.
बाहरी राज्यों के व्यापारी कर रहे आदिवासी की लुट
जिले में अनेक तहसीलों में निधि के अभाव में वनप्रबंधन समितियां बंद होने की कगार पर आ गयी है. इसके अलावा कुछ जगह पर आदिवासी नागरिकों से वनोपज भी नहीं खरीदे जा रहे है. इसका लाभ उठाते हुए छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और तेलंगाना राज्य के व्यापारी सीमावर्ती इलाकों में बसे तहसीलों में पहुंचकर आदिवासी नागरिकों ने कम दाम में वनोपज लेकर उनकी वित्तीय लुट कर रहे है.
वहीं इस समाज में अज्ञानता का प्रमाण अधिक होने के कारण व्यापारी द्वारा निश्चित किए कए दाम नुसार वनोपज बेच रहे है. इसमें सभी ओर से केवल आदिवासी समाज के नागरिकों की वित्तीय लुट हो रही है. जिससे वनविभाग को वनोपज खरीदने के लिये प्रत्येक तहसील में केंद्र तैयार करने की आवश्यकता होने की बात जिले के नागरिकों द्वारा की जा रही है.