अतिक्रमित मकान हटाने के कार्रवाई पर रोक

  • संघर्षनगर के अतिक्रमणधारकों को मिली राहत

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गडचिरोली. जिला स्टेडियम के लिए जगह उपलब्ध कराने के लिए लांझेडा समिपस्य संघर्ष नगर के अतिक्रमीत मकान हटाने की कार्रवई जिला प्रशासन के प्रयासों से स्थानीय वनविभाग ने शुरू की थी. इस दौरान अन्यायग्रस्तों ने उच्च न्यायालय में इसको लेकर गुंहार लगाई थी. मंगलवार 15 जनवरी को उच्च न्यायालय के न्या. ए. एस. चांदूरकर तथा न्या. एन. बी. सुर्यवंशी इनके खंडपीठ ने प्रशासन के इस अतिक्रमण हटाव मुहिम को स्थगिती दी है. 

बहुप्रतिक्षित जिला स्टेडियम के लिए वनविभाग का सर्वे नंबर 170 में की भूमि सरहार ने हाल ही में दी है. मात्र वनविभाग उक्त जगह जिला क्रिडा विभाग को हस्तांतरीत नहीं किए जाने से स्टेडियम का निर्माण शुरू नहीं हो पाया था. जिससे उक्त जगह पर का अतिक्रमण हटाकर यह जगह क्रिडा विभाग को हस्तांतरीत करने के लिए वनविभाग ने अतिक्रमित मकान हटाने की कार्रवाई शुरू की थी. मात्र संघर्ष नगर के अतिक्रमीत मकान यह सर्वे नंबर 155 में के राजस्व विभाग के जगह पर होने से तथा 15 वर्ष पूर्व का अतिक्रमण होने से हमारे मकान हटाने के पूर्व हमे वैकल्पिक भूमि दे तथा पक्के मकान सरकार उपलब्ध कराएं ऐसी बिनती अतिक्रमण धारकों ने की थी.

वहीं कुछ मकान यह वनाधिकार कानुन के तहत पट्टे मिलने के पात्र होने से तथा उस संदर्भ के दांवे प्रभाग वनाधिकार समिति की ओर प्रलंबित होने से मकान हटाने की कार्रवाई रोके इसके लिए शेतकरी कामगार पार्टी के माध्यम से प्रयास करने के पश्चात भी अतिक्रमण हटाव मुहिम नहीं रोकी गई थी. जिससे उक्त अन्यायग्रस्तों ने एड. कबीर कालीदास व एड. प्रियंका बांबोले इनके मार्फत उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. उच्च न्यायालय ने प्रशासन के अतिक्रमण हटाव मुहिम को स्थगिती देते हुए राज्य के राजस्व तथा वनविभाग के सचिव समेत जिलाधिकारी, उपवनसंरक्षक, सहाय्यक वनसंरक्षक तथा वनपरिक्षेत्र अधिकारी को इस मामले में नोटीस भेजा है. 

संघर्ष नगर के अतिक्रमण धारकों को वैकल्पीक जगह तथा पक्के मकान उपलब्ध कराने के पश्चात ही उक्त जगह जिला स्टेडियम के लिए खुली करने की तैयारी अतिक्रमण धारकों ने दर्शायी थी. जिसके तहत शेकाप की ओर से प्रशासन के पास बैठक आयोजित कर समझौते से इस समस्या हल करने के लिए प्रयास किया था. पालकमंत्री ने भी इस संदर्भ में अनुकूलता दर्शायी थी. मात्र जिलाधिकारी दीपक सिंगला ने इस मामले में अनभिज्ञता दिखाने से यह मामला उच्च न्यायालय में गया होकर जिला स्टेडियम का कार्य प्रलंबित होने का चित्र दिखाई दे रहा है. – रामदास जराते, राज्य चिटणीस मंडल सदस्य, तथा जिला चिटणीस, शेतकरी कामगार पक्ष