नदीयों का भंडार, फिर भी प्यासे खेत खलियान

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गडचिरोली. वनसंपन्न गडचिरोली जिला कृषप्रिधान भी है. जिले में अधिकत्तर लोगों का जीवन खेती पर ही निर्भर है. जिले में चहुओर बारमासी नदीयां बहती है, किंतू सिंचाई सुविधाओं का अभाव होने के कारण जिले के अधिकत्तर किसान एक मौसमी धान फसल का उत्पादन ले पा रहे है. वश्वि में दिया तले अंधेरा की कहावत मशहुर है, यहीं कहावत जिले के लिए भी लागू होती नजर आ रही है. क्यौंकि, जिले में बारमासी नदीयां तो है, मात्र इसका उपयोग नहीं हो रहा है, जिससे नदीयों का भंडार, फिर भी प्यासे खेत खलियान यह स्थिती दिखाई पड रही है. 

गडचिरोली जिले में वनों के साथ ही जलभंडार है. जिले के उत्तर से लेकर दक्षिण छोर तक पश्चिमि सिमा ही नदीयों से बनी हुई. वहीं जिले में विभीन्न बारमासी नदीयां बहती है. किंतू इन नदीयों पर बडे सिंचाई परियोजनाएं नर्मिाण नहीं होने के कारण जिले के किसानों को बरसात के भरोसे रहना पड रहा है. जिले की सिमा से गोदावरी, इंद्रावति, वैनगंगा, प्राणहिता यह प्रमुख नदीयां बहती है. इसके अलावा जिले में कठाणी, खोब्रागडी, गाढवी, पाल, सती, वैलोचना, पर्लकोटा, पामुलगौतम, दिना ऐसी उपनदीयां के साथ छोटे, मोटे नाले, झरनों का भंडार है. मात्र सिंचाई सुविधाओं के अभाव में इन नदीयों का पानी का उपयोग नहीं हो रहा है. बरसात के पानी पर ही किसानों को खेती उपजाई करनी पड रही है. जिसके कारण किसान एकमौसमी फसल ही ले पा रहे है. 

वनकानुन से अटके अनेक प्रकल्प 
राज्य में वनों को अबाधित रखने में जिले ने अहम भूमिका निभाई है. प्रकृति संवर्धन में आवश्यक वनसंपदा को बचानेवाले गडचिरोली जिले के विकास में यहीं वनसंपदा बाधक बन गई. वनकानुन के चलते जिले में अनेक सिंचाई प्रकल्प अटक गए. कुछ प्रकल्पों का नर्मिाणकार्य शुरू हुआ था, किंतू वनकानुन की बाधा ने उसमें खलल डालने के बाद वह प्रलंबित हो गए. बिते कुछ वर्ष पूर्व वनकानुन में कुछ शिथीलता प्रदान की गई. इस कारणवश जिले के कुछ प्रकल्प का कार्य आरंभ हुआ. मात्र अनेक प्रकल्प आज भी प्रलंबित है. इन प्रकल्पों का बजट उस समय के मंजूर निधी की तुलना में काफी बढ गया है. 

तेलंगाना उठा रही लाभ 
जिले के दक्षिण छोर पर महाराष्ट्र व तेलंगाना राज्य की सिमा पर महाराष्ट्र की प्रमुख नदी गोदावरी बहती है. इस नदी पर तेलंगाना सरकार ने मेडीगट्टा सिंचाई परियोजना क्रियान्वीत कर तेलंगाना के अधिकत्तर क्षेत्र को जलसमृद्ध बनाने की दिशा में कार्य आरंभ कर दिया है. जिससे वहां के किसानों को काफी लाभ मिल रहा है, वहीं महाराष्ट्र व खासकर गडचिरोली जिले के किसान पानी के लिए तरसते नजर आ रहे है.