Net speed is becoming an obstacle in online education

  • ग्रामीण व दुर्गम क्षेत्र के छात्रों की स्थिती

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गडचिरोली. जून माह विद्यार्थी तथा किसानो के लिए हमेशा महत्वपूर्ण साबित होता है. किसानों को खरीफ सीजन के फसलों की बुआई का कार्य व व छात्रों के नए शैक्षणिक सत्र की शुरूआत होने से छात्रों के लिए भी जून माह महत्वपूर्ण होता है. इस वर्ष कोरोना संकट के चलते स्कूल की घंटी नहीं बजी है. जिससे ग्रामीण व दुर्गम क्षेत्र के विद्यार्थी खेतीकार्य में जुटे हुए है. 

ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों के लिए खेती के कार्य कोई नहीं बात नहीं है. मात्र इस वर्ष कोरेाना के कारण स्कूलों को स्कूलों को मार्च माह से छूट्टीयां मिली है. जिससे विद्यार्थी फसल बुआई, खाद देना, मवेशीयों को संभालना, कचरे का प्रबंधन करना आदि कार्यो में अभिभावकों को मदद करते दिखाई दे रहे है. जून माह के प्रारंभ मं जिले के कुछ क्षेत्र में अच्छी बारिश हुई. ऐसे में कोरोना का प्रादुर्भाव भी होने से किसान व विद्यार्थीयों के लिए विपरित स्थिती निर्माण करनेवाला समय साबित हो रहा है. कोरोना का संकट है. मात्र बारिश अच्छी होने से किसानों ने व्यापक मात्रा में बुआई की है. मात्र कोरोना संक्रमण से बचने हेतु मार्च माह में बंद हुई स्कूले अबतक शुरू नहीं हुए है. अध्ययन वे छात्र दूर न रहे इसके लिए शिक्षा विभाग की ओर से ऑनलाईन शिक्षा देने का प्रयास हो रहा है. मात्र ग्रामीण क्षेत्र के अनेक लोगों के पास स्मार्टफोन, संगणक, इंटरनेट आदि कोई भी संसाधन नहीं है. जिससे यह प्रयोग सफल होता दिखाई नहीं दे रह है. विगत 2 दिनों से जिले के कुछ क्षेत्र अच्छी बारिश होने से किसान रोपाई के कार्य को प्रारंभ किया है. इस रोपाई के कार्य में ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थी अपने अभिभावकों को सहयोग कर रहे है. ऐसे नौनिहाल बच्चों के हाथ खेतो की मिट्टी से रंगते दिखाई दे रहे है. स्कूल नहीं, अध्ययन नहीं ऐसे में खाली बैठने के बजाए ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थी खेतों में काम करते दिखाई दे रहे है. जिसेस अब छात्र स्कूल शुरू होने के प्रतिक्षा में दिखाई दे रहे है.

ग्रामीण विद्यार्थी शिक्षा से वंचित
सरकार ने ऑनलाईन पद्धती से शिक्षा देने का निर्णय लिया है. मात्र ग्रामीण क्षेत्र में किसी तरह की आवश्यक सुविधा उपलब्ध नहीं होने से छात्रों को ऑनलाईन शिक्षा से वंचित रहना पड रहा है. कुछ लोगों के पास स्मार्ट फोन है, मात्र बैलेंस डालने के लिए पैसे नहीं . ऐसे में मजबुरन छात्रों को खेत में कृषि कार्य पर ले जाना पड रहा है. 

किसानों को हमेशा अस्मानी तथा सुलतानी संकट ने घेरा है. अब किसानों के बच्चों को भी इसमें सहभागी होना पड रहा है. कोरोना के कारण खेती व्यवसाय के साथ छात्रों के शिक्षा पर भी परिणाम होता दिखाई दे रहा है. खेती के लिए पैसे खर्च करे, या बच्चों की ऑनलाईन शिक्षा हेतु मोबाईल व इंटरनेट पर खर्च करे, ऐसा प्रश्न जिले के ग्रामीण क्षेत्र के गरीब अभिभावकों के समक्ष निर्माण हुआ है.