- आत्मा की ओर से किसानों दिखाया प्रात्याक्षिक
धानोरा. किसानों के उत्पादन वृद्धी के लिए तहसील कृषि अधिकारी धानोरा अंतर्गत तहसील तंत्रज्ञान प्रबंधन यंत्रणा (आत्मा) की ओर से श्री पद्धती व पट्टा पद्धती इन दोनों पद्धती की मेल कर चौफुली पद्धती से धान रोपाई करने का फसल प्रात्यक्षिक तहसील के येरकड में किसान बाबुराव बलीराम सहारे के खेत पर दिखाया गया.
किसानों के उत्पादन तथा उत्पन्न में वृद्धी करने के लिए कृषि तकनिकी ज्ञान में विभीन उपक्रम चलाए जा रहे है. धानोरा तहसील में खरीफ सीजन में बडी मात्रा में धान की बुआई व रोपाई की जाती है. मात्र यहां के किसान परंपरागत पद्धती से धान रोपाई करते आए है. जिससे किट व रोगों का प्रादुर्भाव होकर दवा के छिडकांव पर किसानों को अधिक पैसे खर्च करने पडते है. इसमें किसानों का व्यापक वित्तीय नुकसान होता है. इस पर रोक लगाने के लिए हर वर्ष कृषि विभाग व आत्मा की ओर से किसान तकनिकी ज्ञान का इस्तेमाल करने पर जोर दिया जाता है. जिसके तहत तहसील कृषि अधिकारी कार्यालय अंतर्गत तहसील तंत्रज्ञान प्रबंधन यंत्रणा (आत्मा) की ओर से तहसील के येरकड में श्री व पट्टा इन दोनों पद्धती का मिलाप कर चौफुली पद्धती से धान रोपाई का प्रात्याक्षिक दिखाया गया.
किसान चौफुली पद्धति से खेती करने की तकनिक आत्मसात करे, ऐसा आह्वान किया गया. प्रात्याक्षिक के दौरान तहसील कृषि अधिकारी आनंद पाल, कृषि अधिकारी शिवाजी खटके, आत्मा के तहसील तकनिकीज्ञान प्रबंधक जयंत टेंभूर्णे उपस्थित थे. इस समय परिसर के अनेक किसान सहभागी हुए थे.
चौफुली रोपाई पद्धती
इस में 2 रोपो की दूरी यह 25 बाय 25 सेंटीमीटर तथा 2 कतारों में भी 25 बाय 25 सेंटीमीटर की दूरी कायम रखी जाती है. वहीं प्रत्येक 15 कतारों में एक खडा व एक आडा पट्टा छोडा जाता है. जिससे इस पद्धती में रोपों में तथा कतारों में दूरी कायम रहकर कुछ दूरी पर छोडे के पट्टे के कारण उसमें सुर्यकिरण आवश्यक मात्रा में मिलकर हवाएं खिली खिली रहती है. इससे रोपों की अच्छी तरह वृद्धी होने में मदद मिलती है. वहीं पट्टा पद्धती से रोग व किटों का प्रादुर्भाव रोकने में मदद होती है. वहीं पानी प्रबंधन व खाद अच्छी तरह किया जा सकता है. इस तरह की खेती करने से बिजों का खर्च कम किया जा सकता है. कम सयम, कम खर्च में बुआई की जा सकती है. खान प्रबंधन, पानी प्रबंधन व रोक तथा किट प्रबंधन अच्छी तरह किया जा सकता है.