4 पुलिस थाने प्रभारियों के भरोसे, गडचिरोली शहर पुलिस थाने का भी समावेश

  • 11 पीआई का तबादला, मात्र नए पीआई का इंतजार

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गडचिरोली. गडचिरोली जिले के पुलिसींग आव्हानात्मक व उतनी ही संवेदनशील है. नक्सलियों के खिलाफ दो हाथ करने के साथ कानून व सुव्यवस्था रखने का काम भी पुलिस पर है. मात्र हाल ही में हुए तबादलों में गडचिरोली जिले के 11 पुलिस निरीक्षक बाहर जिले में बदलकर गए. जिससे उनकी जगह पर सरकार ने एक भी पुलिस निरीक्षक की नियुक्ती जिले में नहीं की. जिले के चार पुलिस थाने का कामकाज हाल ही में सहाय्यक पुलिस निरीक्षकों के कंधों पर है. इसमें जिला मुख्यालय स्थित गडचिरोली शहर पुलिस थाने का भी समावेश है.

राज्य में सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिले के रूप में गडचिरोली जिले की पहंचान है. नक्सलियों को  रोकने के लिए केंद्र व राज्य सरकार की ओर से लगातार प्रयास हो रहा है. गत कुछ वर्षों से नक्सल कार्रवाईओं पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस विभाग सफल रही है. इसके लिए प्रत्यक्ष जंगल में अभियान चलानेवाले जवानों से व मार्गदर्शन करनेवाले वरिष्ठ अधिकारियों का महत्वपूर्ण हिस्सा है. जिससे राज्य सरकार ने गडचिरोली जिले में सेवा देनेवाले पुलिस अधिकारियों के लिए इच्छूक स्थल पर तबादला देने की निती अपनाई है. उपविभागीय पुलिस अधिकारी को 2 वर्ष सेवा का कालावधि व पुलिस निरीक्षक, सहाय्यक पुलिस निरीक्षक, पुलिस उपनिरीक्षक इन अधिकारियों के लिए ढाई वर्ष का कालावधि तबादला पात्र के लिए ग्राह्य पकडा है.

मात्र इस वर्ष कोरोना प्रादुर्भाव के चलते पुलिस अधिकारियों के तबादले आगे बढाए गए थे. जिससे तबादला पात्र रहनेवाले कई पुलिस अधिकारियों में नाराजी व्यक्त हुई थी. तबादलों के लिए बार बार दिनांक घोषित किए गए थे. आखिरकार अक्टूंबर माह में पुलिस अधिकारियों के तबादलों के आदेश निकले. इसमें गडचिरोली जिले के 11 पुलिस निरीक्षकों के तबादले दुसरे जिले में किए गए. मात्र उनके जगह पर एक भी पुलिस निरीक्षक की नियुक्ती जिले में नहीं हुई. पुलिस निरीक्षक के साथ ही सहाय्यक पुलिस निरीक्षक व पुलिस उपनिरीक्षकों के तबादले किए गए. मात्र इस तबादले प्रक्रिया में अनेक पुलिस अधिकारियों पर अन्याय होने की बात कही जा रही है. सेवा का कालावधि पूरा करनेवाले कुछ पुलिस अधिकारियों को पती-पत्नी एकत्रिकरण का लाभ भी नहीं मिल पाया. दुसरी ओर पुलिस मुख्यालय के एक पुलिस निरीक्षक का तबादला बिनती से एक वर्ष के अंदर ही किया गया है. जिससे इस तबादलों में बवाल होने की चर्चा शुरू है. 

‘हेवीवेट’ थाने में ही प्रभारी अधिकारी

जिला मुख्यालय का गडचिरोली शहर पुलिस थाना प्रशासकीय दृष्टी से महत्वपूर्ण समझा जाता है. हर माह में गडचिरोली शहर में राजनितिक मोर्चे, आंदोलन, मंत्रीओं के दौरे आयोजित होते है. जिससे सुरक्षा व सुव्यवस्था दृष्टी से शहर पुलिस थाने पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होने से इस जगह पर अनुभवी वरिष्ठ दर्जे का पुलिस अधिकारी आवश्यक है. मात्र यहा के पुलिस निरीक्षक प्रदीप चौगावकर का तबादला होने के बाद उनकी जगह पर अन्य पुलिस निरीक्षक की नियुक्ती इस थाने में नहीं की गई. पीआई चौगावकर तबादला हुए जगह पर नियुक्त हुए. उनका प्रभार यहा के सहाय्यक पुलिस निरीक्षक को दिया गया है. गडचिरोली के साथ ही देसाईगंज, चामोर्शी व आष्टी इन तीन पुलिस थाने का प्रभार भी वहां के सहाय्यक पुलिस निरीक्षक को सौंपा गया है. देसाईगंज व चामोर्शी शहर लोकसंख्या से बडे व राजनितिक दृष्टी से संवेदनशिल है. इन दोनों शहर में बडी बाजारपेठ होने से क्राईम का प्रमाण भी अधिक है. जिससे इस जगह पर पुलिस निरीक्षक दर्जे का अधिकारी दे, ऐसी मांग हो रही है.

गडचिरोली का एसडीपीओ पद भी प्रभारी पर

हाल ही में हुए तबादलों में गडचिरोली के उपविभागीय पुलिस अधिकारी एस. सुदर्शन का तबादला परभणी में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के रूप में हुआ है. मात्र उनके जगह पर दुसरे अधिकारी की नियुक्ती नहीं हुई. जिससे इस पद का प्रभार पुलिस मुख्यालय के डीवायएसपी (अभियान) भाऊसाहेब ढोले की ओर सौंपा गया है. साथ ही अहेरी के उपविभागीय पुलिस अधिकारी बजरंग देसाई का भी तबादला पुणे शहर में हुआ है. मात्र उनके जगह पर अन्य किसी की भी नियुक्ती न होने से हाल ही में वो जैसे थे है. राज्य सरकार ने तबादले प्रक्रिया में जिले पर अन्याय करने की भावना जनसामान्य में दिख रही है. नक्सलविरोधी अभियान के साथ ही कानून व सुव्यवस्था अबाधित रहे, इसलिए तबादले हुए अधिकारियों की जगह पर अन्य अधिकारी की नियुक्ती करे, ऐसी मांग हो रही है.