प्रतीकात्मक तस्वीर
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    • डाक्टरों की रिपोर्ट आया मामला सामने

    गड़चिरोली. महाराष्ट्र राज्य में हाथी कैम्प के रूप में परिचित गड़चिरोली जिले के कमलापुर के सरकारी हाथी कैम्प में शुक्रवार को अर्जुन नामक हाथी की मृत्यु हुई थी. वहीं इस घटना के तीन दिन पहले सई नामक मादा हाथी की भी मृत्यु हुई थी. इन घटनाओं से वनविभाग में खलबली मच गयी गई थी. इस दौरान संबंधित दोनों मृत हाथियों का हरपिस नामक बिमारी से चलते मृत्यु होने की बात डाक्टरों की रिपोर्ट से सामने आयी है.

    बता दे कि, सिरोंचा वनविभाग अंतर्गत आनेवाले कमलापुर हाथी कैम्प में अर्जुन नामक हाथी की आकस्मिक मृत्यु हुई थी. वह  बिमार नहीं था, वहीं उसपर उपचार भी नहीं चल रहा था. मात्र शुक्रवार को अचानक अर्जुन की मृत्यु हो गई. इस घटना की जानकारी मिलते ही पशुधन विकास अधिकारी डा. पवन पावडे ने अर्जुन की जांच करने पर वह मृत पाया गया. शनिवार को अर्जुन का पोस्टमार्टम किया गया.

    इस दौरान ताडोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प के पशुवैद्यकीय अधिकारी डा. रविकांत खोब्रागड़े, पशुधन विकास अधिकारी डा. पवन पावड़े, एटापल्ली के पशुधन विकास अधिकारी डा. गव्हाने समेत गोरेवाड़ा प्रकल्प के पशु वैद्यकीय अधिकारी डा. मयुर पाशवे इन डाक्टरों की टिम ने पोस्टमार्टम किया. इस समय वनविभाग के अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक बी. एस. हुडा, गड़चिरोली वनवृत्त के मुख्य वनसंरक्षक डा. किशोर मानकर, सिरोंचा वनविभाग के उपवनसंरक्षक सुमितकुमार, मानद वन्यजीवरक्षक मिलिंद उमरे आदि उपस्थित थे.

    पोस्टमार्टम के बाद डाक्टरों ने अर्जुन हाथी की मृत्यु हरपिस वायरस होने की बात रिपोर्ट में कही है. सई की मृत्यु भी हरपिस वायरस से होने की बात कही गई. हरपिस वायरस यह विश्व में हाथियों के मृत्यु का प्रमुख कारण है. हरपसि वायरस यह अतितीव्र बिमारी होने से हाथी की मृत्यु 8 से 24 घंटों की कालावधि में होती है. इस बिमारी प्रमुखता से हाथी के बच्चों पर अधिक होती है. पोस्टमार्टम में लिये गये अवयव के नमूने मिनि फॉरेन्सिक सायन्स लॅब चंद्रपुर, नागपुर व हरपिस लॅब केरल में सील कर भिजवाये गये है.

    अन्य हाथियों पर प्रतिबंधात्मक औषधोपचार

    सई और अर्जुन इन हाथियों की आस्कमिक मृत्यु के बाद सतर्कता बरते हुए  डा. रविकांत खोब्रागड़े की सलाह पर सरकारी हाथी कैम्प कमलापुर स्थित अन्य हाथियों के हालचाल संदर्भ में जानकारी ली गई. शरीर का तापमान  आदि संदर्भ में जांच की गई. इसके अलावा प्रतिबंधात्मक औषधोपचार शुरू किया गया है.

    वन अपराध दर्ज: डा. मानकर

    मुख्य वनसंरक्षक डा. किशोर मानकर ने बताया कि, हाथी यह प्राणी वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की सूची-1 का प्राणी होने के कारण मृत्यु संदर्भ में वन्यजीव सरंक्षण अधिनियम 1972 के कमल 9 नुसार प्राथमिक वनअपराध दर्ज किया गया है. इस वन अपराध की जांच सहायक वनसंरक्षक व संबंधित पद के वरिष्ठ अधिकारी के माध्यम से की जाएगी. ऐसी जानकारी मुख्य वनसंरक्षक डा. किशोर मानकर ने दी है.