नतीजा ग्रामीणों को पानी के लिए हैंडपंप व सार्वजनिक कुओं का सहारा लेना पड़ रहा है।
- हैंडपंप व सार्वजनिक कुओं का सहारा
मुलचेरा. तहसील अंतर्गत आनेवाले गोमनी गांव की जलापूर्ति योजना एक साल से ठप पडी इसके बाजवूद स्थानीय प्रशासन ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। नतीजा ग्रामीणों को पानी के लिए हैंडपंप व सार्वजनिक कुओं का सहारा लेना पड़ रहा है। शीतकाल में परेशानी कम है कि आगामी ग्रीष्मकाल में तो पानी के लिए त्राही त्राही मचने की संभावना है।
गोमनी ग्रामपंचायत अंतर्गत गोमनी, गोमनी टोला, मुखडी और मुखडी टोला ऐसे चार गांवों का समावेश है। गोमनी में वर्ष 2016-17 में 35 से 40 लाख रूपए खर्च कर महाराष्ट्र वन प्राधिकरण अंतर्गत जिला परिषद के ग्रामीण जलापूर्ति विभागम की ओर से ग्रामपंचायत स्तर पर जलापूर्ति योजना कार्यान्वित की गई। इस योजना की देखभाल मरम्मत की जिम्मेदारी स्थानीय ग्रापं प्रशासन पर है। किंतु ग्राम पंचायत ने अपनी जिम्मेदारी का उचित तरीके से निर्वाहन नहीं किया नतीजा जलापूर्ति योजना ठप पड गई। नतीजा गांव की महिलाओं को पानी के लिए दर दर भटकना पड रहा है। ग्रामसभा में अनेकों बार इस विषय पर चर्चा योजना को सुचारु करने की मांग की गई किंतु जानबुझकर इस ओर अनदेखी की जा रही है।
ग्रापं का खराब नियोजन ग्रामीणों के माथे पर
लगभग 1600 परिवार इस जलापूर्ति योजना पर निर्भर है लाखों की लागत से इसे साकार किया गया। किंतु ग्रापं प्रशासन के खराब नियोजन के चलते जलापूर्ति योजना ठप पडी है। जलापूर्ति करने वाली मोटर खराबी, पाईपलाईन क्षतिग्रस्त तथा बिजली बिल का भुगतान न किये जाने से लगभग एक वर्ष से जलापूर्ति ठप पडी है।
ग्रीष्मकाल में गहराएगा जलसंकट
फिलहाल शीतकाल है तो पानी की इतनी अधिक किल्लत महसूस नहीं हो रही है किंतु ग्रीष्मकाल के दिनों में जब पानी की अधिक आवश्यकता होगी उस समयपर परिसर के नागरिकों की भीड कुओं और हैंडपंपों पर उमड पडेगी तो स्थिति संभालना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए समय रहते इस जलापूर्ति योजना की ओर ध्यान देकर इसे सुचारु करें अन्यथा ग्रीष्मकाल के दिनों में भीषण जलसंकट के आसार अभी से दिखाई दे रहे है।