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इंदिरा का जन्म यूपी के प्रयागराज में 19 नवंबर 1917 को को हुआ। राजनीतिक रूप से प्रभावशाली नेहरू परिवार में इनका जन्म हुआ था। इनके पिता जवाहरलाल नेहरू और इनकी माता कमला नेहरू थीं। इनका पूरा नाम इंदिरा प्रियदर्शिनी था। वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रही है।
इंदिरा का जन्म यूपी के प्रयागराज में 19 नवंबर 1917 को को हुआ। राजनीतिक रूप से प्रभावशाली नेहरू परिवार में इनका जन्म हुआ था। इनके पिता जवाहरलाल नेहरू और इनकी माता कमला नेहरू थीं। इनका पूरा नाम इंदिरा प्रियदर्शिनी था। वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रही है।
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1934–35 में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के पश्चात, इन्दिरा ने शान्तिनिकेतन में रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा निर्मित विश्व-भारती विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ही इन्हे
1934–35 में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के पश्चात, इन्दिरा ने शान्तिनिकेतन में रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा निर्मित विश्व-भारती विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ही इन्हे "प्रियदर्शिनी" नाम दिया था।
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1937 में परीक्षा में सफल होने के बाद इन्होने सोमरविल कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में दाखिला लिया। ऑक्सफोर्ड से वर्ष 1941 में भारत वापस आने के बाद वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में शामिल हो गयीं।
1937 में परीक्षा में सफल होने के बाद इन्होने सोमरविल कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में दाखिला लिया। ऑक्सफोर्ड से वर्ष 1941 में भारत वापस आने के बाद वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में शामिल हो गयीं।
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इन्दिरा को उनका
इन्दिरा को उनका "गांधी" उपनाम फिरोज़ गाँधी से विवाह के पश्चात मिला था। उन्हें 'आयरन लेडी' की उपाधी भी प्राप्त है। इनका 'मोहनदास करमचंद गाँधी' से न तो खून का और न ही शादी के द्वारा कोई रिश्ता था।
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इसी दौरान उनकी मुलाकात फिरोज़ गाँधी से हुई। अंततः 16 मार्च 1942 को एक निजी आदि धर्म ब्रह्म-वैदिक समारोह में इनका विवाह फिरोज़ से हुआ।
इसी दौरान उनकी मुलाकात फिरोज़ गाँधी से हुई। अंततः 16 मार्च 1942 को एक निजी आदि धर्म ब्रह्म-वैदिक समारोह में इनका विवाह फिरोज़ से हुआ।
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1944 में उन्होंने फिरोज गांधी के साथ राजीव गांधी और इसके दो साल के बाद संजय गाँधी को जन्म दिया।
1944 में उन्होंने फिरोज गांधी के साथ राजीव गांधी और इसके दो साल के बाद संजय गाँधी को जन्म दिया।
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1950 के दशक में वे अपने पिता के भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान गैरसरकारी तौर पर एक निजी सहायक के रूप में उनके सेवा में रहीं। अपने पिता की मृत्यु के बाद सन् 1964 में उनकी नियुक्ति एक राज्यसभा सदस्य के रूप में हुई। इसके बाद वे लालबहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में सूचना और प्रसारण मत्री बनीं।
'लालबहादुर शास्त्री' के आकस्मिक निधन के बाद तत्कालीन काँग्रेस पार्टी अध्यक्ष के। कामराज इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाने में निर्णायक रहे।
1950 के दशक में वे अपने पिता के भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान गैरसरकारी तौर पर एक निजी सहायक के रूप में उनके सेवा में रहीं। अपने पिता की मृत्यु के बाद सन् 1964 में उनकी नियुक्ति एक राज्यसभा सदस्य के रूप में हुई। इसके बाद वे लालबहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में सूचना और प्रसारण मत्री बनीं। 'लालबहादुर शास्त्री' के आकस्मिक निधन के बाद तत्कालीन काँग्रेस पार्टी अध्यक्ष के। कामराज इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाने में निर्णायक रहे।
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उन्होंने अपने जीवन में कई उपलब्धियां प्राप्त की। उन्हें 'भारत रत्न पुरस्कार', बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए 'मैक्सिकन अकादमी पुरस्कार',1973 में एफएओ का दूसरा  वार्षिक पदक, 'साहित्य वाचस्पति (हिन्दी) पुरस्कार', 'मदर पुरस्कार', इसाबेला डी‘एस्टे पुरस्कार', 'होलैंड मेमोरियल पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
उन्होंने अपने जीवन में कई उपलब्धियां प्राप्त की। उन्हें 'भारत रत्न पुरस्कार', बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए 'मैक्सिकन अकादमी पुरस्कार',1973 में एफएओ का दूसरा वार्षिक पदक, 'साहित्य वाचस्पति (हिन्दी) पुरस्कार', 'मदर पुरस्कार', इसाबेला डी‘एस्टे पुरस्कार', 'होलैंड मेमोरियल पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
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वहीं 1967 और 1968 में फ्रांस की सबसे लोकप्रिय महिला थी। 1971 में गैलप जनमत सर्वेक्षण के अनुसार वह दुनिया की सबसे लोकप्रिय महिला थी। पशुओं के संरक्षण के लिए 1971 में अर्जेंटीना सोसायटी द्वारा उन्हें सम्मानित उपाधि दी गई।
वहीं 1967 और 1968 में फ्रांस की सबसे लोकप्रिय महिला थी। 1971 में गैलप जनमत सर्वेक्षण के अनुसार वह दुनिया की सबसे लोकप्रिय महिला थी। पशुओं के संरक्षण के लिए 1971 में अर्जेंटीना सोसायटी द्वारा उन्हें सम्मानित उपाधि दी गई।
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इंदिरा गांधी ने 'ऑपरेशन ब्‍लूस्‍टार' को मंजूरी दी थी। भारतीय सेना ने 3 से 6 जून 1984 को पंजाब के अमृतसर स्थित हरिमंदिर साहिब परिसर को ख़ालिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाले और उसके समर्थकों से मुक्त कराने के लिए चलाया गया अभियान था। बताया जाता है कि उस दौर में पंजाब में भिंडरावाले के नेतृत्व में अलगाववादी ताकतें सशक्त हो रही थीं, जिन्हें पाकिस्तान से समर्थन मिल रहा था। इसके चलते उस वक्त पंजाब के हालात बहुत खराब थे।
इंदिरा गांधी ने 'ऑपरेशन ब्‍लूस्‍टार' को मंजूरी दी थी। भारतीय सेना ने 3 से 6 जून 1984 को पंजाब के अमृतसर स्थित हरिमंदिर साहिब परिसर को ख़ालिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाले और उसके समर्थकों से मुक्त कराने के लिए चलाया गया अभियान था। बताया जाता है कि उस दौर में पंजाब में भिंडरावाले के नेतृत्व में अलगाववादी ताकतें सशक्त हो रही थीं, जिन्हें पाकिस्तान से समर्थन मिल रहा था। इसके चलते उस वक्त पंजाब के हालात बहुत खराब थे।
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तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी
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31 अक्टूबर 1984 को उनके ही बॉडीगार्ड 'बेअंत सिंह' और 'सतवंत सिंह' ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी।
31 अक्टूबर 1984 को उनके ही बॉडीगार्ड 'बेअंत सिंह' और 'सतवंत सिंह' ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी।