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हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को समृद्धि और वैभव के प्रतीक माना जाता हैं। भारत में शायद ही कोई ऐसी जगह हो जहा भगवान विष्णु की अलग-अलग नामों से पूजा न किया जाता हो। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि दुनिया में भगवान विष्ण की सबसे ऊंची मूर्ति भारत में नहीं बल्कि मुस्लिमों की आबादी के मामले में दुनिया में नंबर एक इंडोनेशिया में है।
हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को समृद्धि और वैभव के प्रतीक माना जाता हैं। भारत में शायद ही कोई ऐसी जगह हो जहा भगवान विष्णु की अलग-अलग नामों से पूजा न किया जाता हो। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि दुनिया में भगवान विष्ण की सबसे ऊंची मूर्ति भारत में नहीं बल्कि मुस्लिमों की आबादी के मामले में दुनिया में नंबर एक इंडोनेशिया में है।
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इस मूर्ति की लंबाई करीब 122 फुट ऊंची और 64 फुट चौड़ी है। मूर्ति के निर्माण में तांबे और पीतल का इस्तेमाल किया गया है। जिसे बनाने में करीब 28 साल का समय लगा है। ये मूर्ति साल 2018 में बनकर पूरी हुई थी और पूरी दुनिया से लोग इसे देखने और दर्शन करने आते हैं।
इस मूर्ति की लंबाई करीब 122 फुट ऊंची और 64 फुट चौड़ी है। मूर्ति के निर्माण में तांबे और पीतल का इस्तेमाल किया गया है। जिसे बनाने में करीब 28 साल का समय लगा है। ये मूर्ति साल 2018 में बनकर पूरी हुई थी और पूरी दुनिया से लोग इसे देखने और दर्शन करने आते हैं।
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1979 में इंडोनेशिया में रहने वाले मूर्तिकार बप्पा न्यूमन नुआर्ता ने हिन्दू प्रतीक की विशालकाय मूर्ति बनाने का स्वप्न देखा था।  स्वप्न देखना तो आसान था लेकिन एक ऐसी मूर्ति बनाना जो विश्वविख्यात हो, वाकई कठिन काम था। कहा जाता है कि इस मूर्ति को बनाने की शुरुआत करने के लिए 1980 के दशक में एक कंपनी बनाई गई थी। तय किया गया कि इसी की देख-रेख में सारा काम होगा। इस मूर्ति की संरचना पर कड़ा परिश्रम किया गया।
1979 में इंडोनेशिया में रहने वाले मूर्तिकार बप्पा न्यूमन नुआर्ता ने हिन्दू प्रतीक की विशालकाय मूर्ति बनाने का स्वप्न देखा था। स्वप्न देखना तो आसान था लेकिन एक ऐसी मूर्ति बनाना जो विश्वविख्यात हो, वाकई कठिन काम था। कहा जाता है कि इस मूर्ति को बनाने की शुरुआत करने के लिए 1980 के दशक में एक कंपनी बनाई गई थी। तय किया गया कि इसी की देख-रेख में सारा काम होगा। इस मूर्ति की संरचना पर कड़ा परिश्रम किया गया।
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पैसों की कमी के कारण काम को कई बार रोकना पड़ा। साल 2007 से 2013 तक करीब 6 सालों तक इसका निर्माण कार्य रुका रहा। जिसके बाद काम की शुरुआत हुई और पांच साल लग गए। मूर्ति के विरोध में स्थानीय लोगों ने आवाज उठाई थी, लेकिन समझाया गया कि ये मूर्ति इंडोनेशिया का सबसे बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन भी साबित हो सकती है तो लोग मान गए थे।
पैसों की कमी के कारण काम को कई बार रोकना पड़ा। साल 2007 से 2013 तक करीब 6 सालों तक इसका निर्माण कार्य रुका रहा। जिसके बाद काम की शुरुआत हुई और पांच साल लग गए। मूर्ति के विरोध में स्थानीय लोगों ने आवाज उठाई थी, लेकिन समझाया गया कि ये मूर्ति इंडोनेशिया का सबसे बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन भी साबित हो सकती है तो लोग मान गए थे।
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दुनियाभर में गरुड़ पर सवार भगवान विष्णु की ये मूर्ति  हिंदू भगवानों की मूर्तियों में सबसे ऊंची मानी जाती है। इसके बाद मलेशिया में बनी भगवान मुरुगन की ऊंचाई मानी जाती है। मुरुगन भी भगवान विष्णु का ही स्वरूप हैं।
दुनियाभर में गरुड़ पर सवार भगवान विष्णु की ये मूर्ति हिंदू भगवानों की मूर्तियों में सबसे ऊंची मानी जाती है। इसके बाद मलेशिया में बनी भगवान मुरुगन की ऊंचाई मानी जाती है। मुरुगन भी भगवान विष्णु का ही स्वरूप हैं।
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बता दें कि, दक्षिण भारत  इंडोनेशिया में इस विशाल मूर्ती का निर्माण करने वाले मूर्तिकार बप्पा न्यूमन नुआर्ता को भारत में सम्मानित किया गया और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किया गया था।
बता दें कि, दक्षिण भारत इंडोनेशिया में इस विशाल मूर्ती का निर्माण करने वाले मूर्तिकार बप्पा न्यूमन नुआर्ता को भारत में सम्मानित किया गया और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किया गया था।
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डोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो (Joko Widodo) मंदिर के तैयार होने पर सबसे पहले दर्शन के लिए पहुंचे थे। विश्व स्तर पर इस मंदिर की ख्याति फैली हुई है। दुनियाभर के हिंदू श्रद्धालु (Hindu Devotees) यहां भगवान विष्णु के दर्शन के लिए  पहुंचते रहते हैं।
डोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो (Joko Widodo) मंदिर के तैयार होने पर सबसे पहले दर्शन के लिए पहुंचे थे। विश्व स्तर पर इस मंदिर की ख्याति फैली हुई है। दुनियाभर के हिंदू श्रद्धालु (Hindu Devotees) यहां भगवान विष्णु के दर्शन के लिए पहुंचते रहते हैं।
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हिन्दू धर्म के ग्रंथों के अनुसार  त्रिमूर्ति देवों में ब्रह्मा, विष्णु, महेश है। पुराणों में विष्णु को विश्व या जगत का पालनहार कहा गया है। वहीं  ब्रह्मा को जहाँ विश्व का सृजन करने वाला माना जाता है, तो शिव को संहारक माना गया है।
हिन्दू धर्म के ग्रंथों के अनुसार त्रिमूर्ति देवों में ब्रह्मा, विष्णु, महेश है। पुराणों में विष्णु को विश्व या जगत का पालनहार कहा गया है। वहीं ब्रह्मा को जहाँ विश्व का सृजन करने वाला माना जाता है, तो शिव को संहारक माना गया है।