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  • मनरेगा के 212 कामों में भ्रष्टाचार

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गोंदिया. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के माध्यम से विकास कार्यों के अंतर्गत लोगों के हाथ को रोजगार दिया जाता है, किंतु मनरेगा के कार्य से बड़ी रकम हासिल करने अधिकारी भी पीछे नहीं रहते. करोड़ों की हेराफेरी करने वाले अधिकारियों पर अंकुश लगाने के लिए प्रयास भी किए जाते हैं. वहीं मनरेगा का भ्रष्टाचार रोकने में विभाग भी कम पड़ रहा है. इसका ज्वलंत उदाहरण जिले में है. वर्ष 2017-18 इस वर्ष 212 कामों में बड़ी लापरवाही बरती गई है. जिसकी जांच करने के आदेश जिलाधीश ने दिए है.

जांच के लिए समिति गठित

मनरेगा अंतर्गत वन विभाग में वन तालाब, वन बांध के निर्माण किए जाते हैं. जिले में सन 2017-18 इस वर्ष में जिले की देवरी, अर्जुनी मोरगांव, सालेकसा, आमगांव व गोरेगांव इन 5 तहसीलों में मनरेगा के तहत किए गए इन कामों में बड़ी संख्या में भ्रष्टाचार किया गया है. इन 5 तहसीलों में मनरेगा के काम के भ्रष्टाचार की जांच करने के लिए जिलाधीश ने त्रिस्तरीय समिति का गठन किया है. जिसमें एक उप विभागीय अभियंता, एक सहायक लेखा व एक विस्तार अधिकारी का समावेश है. इसमें अनेक स्थानों पर काम फर्जी होने व कुछ स्थानों पर बिना काम के बिल निकालने की शिकायतें प्राप्त हुई थी. 

अबतक 18 कामों की हुई जांच

जिले की 8 तहसीलों में से 5 तहसील में हुए मनरेगा के 212 कामों में लापरवाही हुई है. जिससे जांच समितियों का गठन किया गया. इसमें से 18 कामों की जांच की गई है. इस प्रकरण में 1 करोड़ की हेराफेरी होने की बात सामने आई है. जिले की 5 तहसीलों में फर्जी काम हुए है. उसमें देवरी तहसील सबसे आगे है. देवरी तहसील में 112 काम, अर्जुनी मोरगांव तहसील में 61 काम, सालेकसा 36 काम, आमगांव 2 काम व गोरेगांव तहसील के 1 काम की जांच की जा रही है. उल्लेखनीय है कि वन विभाग के एक काम की लागत 25 लाख रु. से अधिक है.