Sudhir Dive

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गोंदिया. दिल्ली में आंदोलन करने वाले किसान संगठनों के संदेह का पूर्ण समाधान करने की तैयारी दिखाने के बाद भी इन संगठनों के नेता अपनी हेकड़ी छोडऩे के लिए तैयार नही है. इन संगठनो के नेताओं को केवल मोदी सरकार को संकट में लाना है. इस आंदोलन की आड़ में कुछ राजनीतिक शक्ति अराजकता फैलाने का प्रयास कर रही है. ऐसा आरोप महाराष्ट्र भाजपा किसान मोर्चा के महामंत्री सुधीर दिवे ने जिला भाजपा कार्यालय में एक चर्चा के दौरान लगाया.

इस अवसर पर सांसद सुनील मेंढे, पूर्व विधायक रमेश कुथे, पूर्व जिप अध्यक्ष नेतराम कटरे, गजानन फुंडे, संजय कुलकर्णी, नंदु बिसेन, जयंत शुक्ला आदि प्रमुखता से उपस्थित थे. दिवे ने आगे कहा कि पंजाब में आंदोलन करने वाले किसानों से अनेक दिनों से केंद्र सरकार चर्चा कर रही है. लेकिन अचानक इन संगठनों ने दिल्ली पहुंचकर आंदोलन करने का निर्णय लिया है. दिल्ली में आने के बाद भी इन संगठनों के नेताओं से सरकार ने अनेक बार प्रस्ताव भेजे.

प्रत्यक्ष चर्चा में संगठन के नेताओं के मन में संदेह दूर हो इसके लिए कानून में आवश्यक परिवर्तन करने की तैयारी दर्शाई गई है. इसके बाद भी किसान मानने के लिए तैयार नही है. दिवे का कहना है कि किसान संगठनों को कृषि कानून की आड़ में केवल राजनीति करनी है. प्रधानमंत्री मोदी ने अनेक बार स्पष्ट किया कि मीनिमम आधारभूत कीमत (एमएसपी) केंद्र सरकार के माध्यम से शुरु रहेगी. इतना ही नही पूर्व की तरह वर्तमान वाली बाजार समितियां भी शुरु रहेगी. इस कानून से किसानों को बाजार समितियों के साथ अपने खेती माल की बिक्री करने का एक और पर्याय उपलब्ध हो जाएगा.

उन्होंने बताया कि कान्ट्रेक्ट खेती को लेकर किसानों में भ्रम है. केंद्र सरकार ने उसे भी दूर कर दिया है. दिवे का कहना है कि बाजार समिति में कार्यरत आड़तिया इस कृषि कानून का विरोध कर रहे है. इस कानून में 22 अलग अलग विषय है. राज्य की महा विकास आघाडी सरकार के तीनों दल इस कानून का विरोध कर रहे है. जबकि राज्य में सन 2006 से कान्ट्रेक्ट कृषि फर्मिंग शुरु है. नाशिक में अंगुर व पुणे में किसान आलु का उत्पादन कान्ट्रेक्ट कृषि फार्मिंग के माध्यम से कर रहे है.