Dhaan, Paddy
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गोंदिया. कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन किया गया. जिससे कई लोगों का रोजगार छीन गया है. वहीं कई परिवारों को आर्थिक संकटों से जूझने मजबूर होना पड़ा है. कोरोना काल में कोई भूखा न रहे, इसके लिए केंद्र सरकार ने जरूरतमंदों को नि:शुल्क खाद्यान देने का निर्णय लिया गया है, लेकिन इसमें अनेक परिवार इस खाद्यान का स्वयं उपयोग करने की बजाए उसकी व्यापारियों को बेचने में जुटे है. शासन की सार्वजनिक वितरण प्रणाली अंतर्गत परिवार को प्रति महीने चावल, गेहूं व दाल का वितरण किया जा रहा है. इसमें अधिकांश लोग सरकार से मिले खाद्यान्न का उपयोग नहीं करने की बात सामने आई है, उक्त चावल व्यापारियों को बेचा जा रहा है.

भेजा जाता है जिले के बाहर

इस चावल की कालाबाजारी कर उसे जिले के बाहर भेजा जा रहा है. सरकारी सस्ते राशन की दूकान से हर एक गरीब परिवार को 5 किलो प्रति यूनिट चावल देने के केंद्र सरकार के आदेश है. यह चावल केंद्र सरकार से राज्य शासन को भेजा रहा है. राज्य शासन के खाद्यान व आपूर्ति विभाग की ओर से सरकारी सस्ते राशन दूकानों से खाद्यान का वितरण करना शुरू है. उक्त वितरण प्रक्रिया अप्रैल से शुरू है.

जिले में कुछ स्थानों पर 5 किलो के स्थान पर केवल 3 किलो चावल का वितरण किया जा रहा है. 2 किलो चावल के स्थान पर गेंहू दिया जा रहा है. इसके अलावा दाल व मकई का भी वितरण शुरू है. कहीं 1 किलो दाल तो कहीं 3 किलो चावल दिया जा रहा है. मकई का भी यही हाल है. कहीं 5 किलो मकई एक राशन कार्ड पर दी जा रही है तो कहीं केवल 1 किलो मकई का वितरण हो रहा है.

उल्लेखनीय है कि जिले में मकई खाने वालों का प्रमाण नगण्य है. बावजूद इस मकई का वितरण किया जा रहा है. वहीं इसकी गुणवत्ता भी सही नहीं है. ऐसा सवाल लाभार्थियों ने उपस्थित किया है. राशन दूकानों से प्राप्त होने वाला चावल खाने लायक भी नहीं है. ऐसा भी लाभार्थियों का कहना है. 

गांव-गांव में दलाल सक्रिय

जिले के गांव-गांव में खाद्यान लेने वाले दलाल सक्रिय है, शुरुआत में चावल 17 रुपये, गेंहू 12 रुपये प्रति किलो पर लिया जाता था. वहीं अब 14 रुपये किलो दर पर चावल व 10 रुपये किलो गेंहू खरीदा जा रहा है. एक ग्रामीण युवक ने बताया कि गोंदिया शहर में सरकारी खाद्यान लेने वाले लोगों की संख्या एक दर्जन से अधिक है, इतना ही नहीं व्यापारियों की चेन बनी हुई है. सरकारी राशन दूकानों से खाद्यान एकत्र कर उसकी कालाबाजारी बेखौफ की जा रही है.