accident
File Photo

    Loading

    गोंदिया. कोरोना के हाहाकार मचा देने से पिछले मार्च माह से लाकडाउन व कुछ प्रतिबंधों के चलते यातायात का प्रमाण घटा है. जिससे नागरिकों की दुर्घटना मृत्यु का प्रमाण कम हुआ है. जिले की दुर्घटनाओं के आंकड़ों से यह स्पष्ट हो रहा है. कोरोना के पूर्व दुर्घटना से नागरिकों की नाहक जान जाने पर दुख व्यक्त किया जा रहा था.

    लेकिन पिछले वर्ष मार्च माह में कोरोना ने घुसपैठ की व तभी से लोगों की जान और सस्ती हो गई. इस कोरोना से वृद्ध ही नहीं युवाओं की भी जान चली गई है. जिले में कोरोना से मार्च 2020 से अब तक 699 लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी है.

    जबकि सन 2018 व 2019 में 334 लोगों की सड़क दुर्घटना में जान चली गई. याने दुर्घटना मृत्यु के प्रमाण को कोरोना ने पीछे डाल दिया है. इन दोनों घटनाओं में लोगों को नाहक मृत्यु का सामना करना पड़ा है. विशेष बात यह है कि कोरोना ने अच्छे-अच्छों को नहीं छोड़ा. कोरोना ने लोगों की जान और सस्ती कर दी है.

    लाकडाउन में दुर्घटनाएं कम

    जिले में कोरोना से अब तक दो बार लाकडाउन लगाया गया है. जिससे संचारबंदी के दौरान घर के बाहर निकलना भी कठिन हो जाता है. इसके अलावा जिला बड़ा होने से लंबी दूरी की यात्रा बंद रहती है. जिससे सड़क दुर्घटनाओं का प्रमाण घटा है. इन 6 माह में 89 दुर्घटनाएं दर्ज की गई है. लेकिन सन 2020 में जहां दुर्घटना में 140 व सन 2021 में अब तक 52 लोगों की जान गई है. जबकि कोरोना से 699 लोगों की मृत्यु हो गई है.

    इन स्थानों पर धीरे चलाएं वाहन

    जिला पुलिस अधीक्षक विश्व पानसरे के माध्यम  से जिला मुख्यालय वाले कुछ विशेष चौराहों को चिन्हित किया गया है. जहां हमेशा ही दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है. इतना ही नहीं जिला यातायात नियंत्रण कक्ष के ट्राफिक पुलिस कर्मचारियों की नियुक्ति भी चौक चौक पर की गई है. इसमें शहर के बालाघाट रोड टी पाइंट व कुड़वा नाका इन दोनों स्थानों पर दुर्घटना होने की संभावना अधिक रहती है. इस परिसर में अब तक अनेक लोगों की मृत्यु हो गई है. इसी तरह जयस्तंभ चौक, पुराना उड़ान पुल यह भी खतरनाक स्थल के रुप में माना जाता है. जिससे इन क्षेत्रों में वाहन धीरे चलाकर जाना आवश्यक है.

    मृतकों में युवाओं की संख्या अधिक

    जिले में हो रही दुर्घटना मृत्यु में 35.50 आयु वर्ग वाले युवाओं की संख्या अधिक है. ऐसी जानकारी जिला यातायात नियंत्रण कक्ष के माध्यम से दी गई है. इसमें विशेषकर युवाओं के पास मोटर साइकिल या फोर व्हीलर वाहन उनमें तेज वाहन चलाने का जुनून होता है. बाद में यही जुनून दुर्घटना में मृत्यु का कारण बन जाता है.

    इस संबंध में देवीदास बिसेन ने बताया कि समय बचाने के चक्कर में तेज गति से वाहन चलाते वक्त दुर्घटना होने पर गंभीर चोंट लगती है. तब बाल बाल बच जाने पर यह एहसास होता है कि हमारा जीवन अमूल्य है. जिससे वाहन चलाते वक्त सतर्कता बरतकर वाहन चलाना चाहिए. इसी तरह एक दुर्घटना का शिकार होने वाले अशोक वाढई का कहना है कि वाहन दुर्घटना में पैर को जबरदस्त चोंट लगी है.

    जिससे चलते समय आज भी परेशानी होती है. नसीब बलवान होने से उस दुर्घटना में जान बच गई. लेकिन पैर का दर्द यह जीवनभर के लिए लग गया है. हमारी जान सबसे कीमती है. जिससे वाहन चलाते वक्त सतर्क रहने के साथ नियम का पालन करना आवश्यक है.