गोंदिया. कोरोना वायरस के महामारी काल में लगाए गए लॉकडाउन से देश का मजदूर वर्ग सबसे अधिक उपेक्षित और परेशान हुआ है. सरकार पर मजदूर विरोधी नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने देशव्यापी निषेध आंदोलन करते हुए गोरेगांव के तहसीलदार को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा.
भाकपा की ओर से आयोजित देशव्यापी निषेध दिन पर प्रधानमंत्री के नाम तहसीलदार को सौंपे गए ज्ञापन में मांग की गई है कि स्थलांतरित मजदूरों को घर वापसी के लिए रेलवे, बस सेवा, उपलब्ध कर यात्रा के दौरान खाने-पीने की भी व्यवस्था की जाए.
सभी मजदूरों को यात्रा भत्ता के तौर पर 10 हजार रुपए दिए जाए, मनरेगा के तहत कामों के दिन बढ़ाकर मजदूरों के हर परिवार को औसत वेतन व काम दिया जाए, मनरेगा योजना को शत-प्रतिशत अमल में लाया जाए, शहरी क्षेत्र के मजदूरों को रोजगार व निवास की व्यवस्था की गारंटी दी जाए, सभी मजदूरों को बिना शर्त के राशन दिया जाए, कामगार कानून में किसी भी प्रकार का बदलाव न किया जाए, ग्रामीण खेत मजदूरों को राशन के साथ-साथ आर्थिक पैकेज भी दिया जाए, वृद्ध, विधवा व दिव्यांग व्यक्तियों को पेंशन तथा अन्य सामाजिक सुरक्षा प्रदान कर उन्हें दिए जानेवाले मानधन को बढ़ाया जाए, रोजगार से वंचित मजदूरों को बेरोजगारी भत्ता दिया जाए, प्रधानमंत्री आवास योजना की किश्त समय-समय पर दी जाए आदि का समावेश था.
गोरेगांव के तहसीलदार को ज्ञापन सौंपते समय भाकपा के राज्य कार्यकारिणी सदस्य हौसलाल रहांगडाले, चैतराम दियेवार, चरणदास भावे, दुलीचंद कावरे, कल्पना डोंगरे, भोलाराम मरस्कोल्हे, गुणवंतराव नाईक, माधवराव मेश्राम आदि उपस्थित थे.