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    गोंदिया. मृग नक्षत्र में बारिश की दमदार शुरुआत होने से जिले के किसानों ने बुआई की शुरुआत की है. लेकिन राष्ट्रीयकृत व सहकारी बैंकों  ने अब तक अनेक किसानों को फसल कर्ज नहीं दिया है. जिससे खेती पड़ीत न रह जाए इसके लिए किसानों ने घर के मंगलसूत्र सहित सोने चांदी के अन्य आभूषण साहूकारों के पास अमानत के रूप में रखकर रकम उठाना शुरू किया है.

    इस कर्ज की रकम से बीजा व अन्य कृषि सामग्री की खरीदी कर बुआई की शुरुआत की है. जिले के अधिकांश क्षेत्र में बुआई अंतिम चरण में पहुंच गई है. इसके बावजूद विभिन्न बैंकों  ने फसल कर्ज वितरण में उदासीन रवैया दिखाया है. फसल वितरण की मई के प्रथम सप्ताह से शुरुआत होकर माह के अंत में फसल वितरण का मिनीमम 90 प्रश.होना चाहिए था. क्योंकि किसान मई के अंत में सप्ताह भर बीजाई व कृषि सामग्री खरीदी की शुरुआत करते हैं.

    वहीं अब पिछले 6 वर्षों से यह चित्र बदल गया है. बैंक फसल कर्ज वितरण की शुरुआत करते हैं. इसके बाद भी कर्ज मंजूरी प्रक्रिया में भारी विलंब होता है. जिससे बैंकों के चक्कर काटकर त्रस्त हो चुके किसान अंत में साहूकारों के दरवाजे जाते हैं. जिले में पिछले 4 से 5 दिनों से कभी हल्की तो कभी दमदार बारिश हो रही है. जिससे कुछ किसानों ने घर पर रखे आभूषण साहुकारों व पत संस्था में रखकर बुआई करने की व्यवस्था की है. जबकि राष्ट्रीयकृत बैंक कर्ज मंजूरी प्रक्रिया में विलंब करती है.

    इसके लिए विभिन्न कागजपत्रों की पूर्ति करने के बाद भी बैंक किसानों को चक्कर काटने मजबूर करती है. ऐसी जानकारी अनेक किसानों ने दी है. इसमें अधिकांश किसान नियमित फसल कर्ज का भुगतान करने वाले हैं.

    नेताओं की बातें काम नहीं आईं

    किसानों ने बताया कि नेता लोग ककिसानों को रोहत देने, बैंक कर्ज दिलाने, धान का बकाया, धान खरीदी, बोनस आदि को लेकर बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर जाते हैं. सुनते ही मन खुशी से झूम जाता है लेकिन वस्तविकता में कुछ भी दिखाई नहीं देता. बैंकों में जाने पर सीधा बताया जाता है कि नेताओं की घोषणाएं यहां काम नहीं आएंगी.