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गोंदिया. भारी विद्युत बिल व लॉकडाउन अवधि वाले बिल माफ किए जाए इस मांग को लेकर संपूर्ण राज्य में जद्दोजहद शुरू है, इसी बीच उर्जा मंत्रालय ने वार्षिक रिपोर्ट दिया है. जिसमें उसने दावा किया कि राज्य में घरेलू विद्युत 5 प्रश कम हो गई है, लेकिन प्रत्यक्ष में यह दावा केवल आकड़ों की बाजीगिरी है. जबकि वास्तव में राज्य के नागरिकों को मिल रहे विद्युत बिलों में उसका दावा कोरा खोखला साबित हो रहा हैं. यह बिल गत वर्ष की तुलना में बहुत अधिक है. इसमें केवल आंकड़ों में हेराफेरी कर विद्युत कम होना दिखाया गया है. प्रत्यक्ष में विद्युत दर 13.39 प्रश तक बढ़ गई है, इसके लिए फिक्स चार्ज का परिणाम हर महीने आने वाले बिलों पर पड़ने की बताई जा रही है.

फिक्स चार्ज में की गई वृद्धि

राज्य में 1 अप्रैल से लागू किए गए विद्युत के नए दर अनुसार मिनीमम विद्युत दर 7 प्रश कम हो गया है, घरेलू विद्युत भी 5 प्रश कम हो गई है. जबकि दावा ही गलत साबित हो रहा है. सर्वसामान्य ग्राहकों को महीने में आने वाले विद्युत बिलों के विश्लेषण करने पर यह बात सामने आई है. फिक्स चार्ज में की गई वृद्धि से सभी श्रेणी में कुल बिल बढ़ गए है. वहीं नए दर की घोषणा करते समय दावा किया गया था कि 0 से 100 यूनिट तक दर कम किया गया है. विद्युत दर के आंकड़ों पर नजर डालने पर वह बराबर दिखाई देता है. इसमें फिक्स चार्ज जोड़ने पर 4.33 रुपये प्रति यूनिट दर बढ़ कर 4.91 रुपये हो गई है. यानि 13.39 प्रश विद्युत दर में वृद्धि हुई है. 01 से 300 यूनिट दर 8.88 रुपये प्रति यूनिट रखी गई है, किंतु श्रेणी बदलते ही 4.91 प्रति यूनिट दर बढ़ कर 8.88 रुपये प्रति यूनिट पर पहुंच गई है. 

आंकड़ों का खेल

श्रेणी के दर में असमानता होने से विद्युत बिल भारी बढ़ा दिखाई देता है. इसी दो श्रेणी में अधिकांश ग्राहकों का समावेश है. जिसका सीधा असर उनकी जेब पर पड़ता है. इसके पूर्व ही उपभोक्ता लॉकडाउन में बड़ी आर्थिक मार झेल चुके हैं. फिक्स चार्ज 90 रुपये बढ़ाकर हर एक श्रेणी के लिए 100 रुपये किया गया है. जबकि कागजों पर कुल दर वृद्ध कम करने अधिक की श्रेणी में विद्युत दर में वृद्धि नहीं की गई है. जैसे 301 से 500 यूनिट के लिए 5.28 प्रश व 501 से 1000 यूनिट के लिए 2.91 प्रश वृद्धि की गई. 1001 से अधिक यूनिट का उपयोग करने वालों के लिए दर 4.50 प्रश कम की है. इस श्रेणी में बहुत कम सिर्फ अमीर ग्राहक आते हैं. दर वृद्धि छिपाने के लिए केवल आंकड़ों में हेराफेरी कर कलाकारी दिखाई जा रही है. इसका परिणाम सर्वसामान्य ग्राहकों को भुगतना पड़ रहा है.