- ग्रामीण अस्पताल में गंदगी का आलम
सालेकसा. जिले के अंतिम झोर पर स्थित आदिवासी बहुल व नक्सलग्रस्त क्षेत्र सालेकसा में पिछले 1 वर्ष से मरीजों को समय पर उपचार नहीं मिल पा रहा है. सालेकसा के ग्रामीण अस्पताल में रात के समय उन्हें बाहर खुले में सोना पड़ रहा है, फिलहाल ठंड के दिन हैं, इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग इस ओर दुर्लक्ष कर रहा है. ग्रामीण अस्पताल में परिवार नियोजन के लिए भर्ती किए गए है किंतु उन पर कोई उपचार नहीं किया गया. इसके विपरीत उन्हें धमकी दी जा रही है.
समय पर नहीं होता उपचार
विशेष बात यह है कि परिवार नियोजन ऑपरेशन के लिए भी पैसे देने पड़ रहे हैं. वहां गंदगी का साम्राज्य है, वहीं मरीज रात के समय खुले में सोने के लिए मजबूर हैं. इस तहसील के मरीजों को समय पर उपचार नहीं मिल रहा है, यहां नवजात शिशुओं के लिए समुचित सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है. कोरोना निर्देशों की भी अनदेखी भी सतत होती रहती है. व्यवस्था नहीं होने से मरीज रात में शौचालय, स्नानगृह व पट्टीबंधन कक्ष की शरण ले रहे हैं, एक ओर जहां स्वास्थ्य विभाग कहता है कि शासन द्वारा सभी सुविधा दी जाएगी, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण अस्पताल की स्वास्थ्य सेविका मरीजों के साथ सौम्य व्यवहार नहीं करती हैं.
प्रमाणपत्र लिये जा रहे 100-100 रुपये
श्रावणबाल योजना के लाभार्थी 15 दिनों से मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए चक्कर काट रहे हैं और उसके लिए 100-100 रुपए लेने के बाद भी डाक्टर समय पर प्रमाणपत्र नहीं दे रहे हैं. इस संदर्भ में यहां के वैद्यकीय अधिकारी डा. राहुल सेवईकर से पूछताछ की गई. इस पर उन्होंने यह कहते हुए बात टाल दी कि वह अनुबंध अंतर्गत कार्यरत हैं, अधिक जानकारी वैद्यकीय अधिकारी ही दे सकते हैं.