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  • रेत माफियाओं के हौसले बुलंद

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गोंदिया. जिले के रेती घाटों से अवैध रेती तस्करी पर रोक लगाने के लिए राजस्व विभाग ने ड्रोन कॅमरों के माध्यम से नजर रखने की शुरुआत की है. इसमें कॅमरों से तस्करी करने वाले वाहनों की शुटिंग की जाएगी इसके बाद उप प्रादेशिक परिवहन कार्यालय (आरटीओ) से लाईसेंस रद्द किया जाएगा लेकिन रेती तस्करी के लिए उपयोग किए जाने वाले अधिकांश वाहन बिना क्रमांक रहते हैं. उनका पंजीयन कैसे रद्द किए जाएंगे ? ऐसा सवाल निर्मित हो गया है.

राज्य स्तरीय पर्यावरण समिति की मंजूरी नही मिलने से जिले के 27 में से 25 रेती घाटों की नीलामी अब तक नहीं हुई है. जिससे शासन को 25 करोड़ रु. के राजस्व से वंचित रहना पड़ गया है. इसी में रेती घाटों की नीलामी नहीं होने इसका भरपुर लाभ तस्करों ने उठाया. लॉकडाउन अवधि में रेती माफियाओं की बड़ी लॉबी बन गई है और इसका नेटवर्क जिले भर में फैला है. पुलिस व राजस्व विभाग की यंत्रणा से भी बड़ा यह नेटवर्क है. इस लॉबी के लोग जगह जगह काम कर रहे हैं. जिससे राजस्व व पुलिस विभाग की हर एक गतिविधियों की जानकारी सबसे पहले उन्हें मिलती है.

जिले में तिरोड़ा व गोंदिया तहसील के रेती घाटों से सबसे अधिक रेती की तस्करी की जाती है. रेती तस्करी करने के लिए रेत माफिया बिना क्रमांक के ट्रक व टिप्पर वाहनों का उपयोग करते है. जिससे रेती चुराने वाले वाहन किसके हैं यह भी प्रश्न उपस्थित हो गया है. हाल ही में जिलाधीश दीपककुमार मीना के आदेश पर अपर जिलाधीश राजेश खवले ने रेती तस्करों पर अंकुश लगाने के लिए रेती घाटों पर 24 घंटे ड्रोन कॅमरों के माध्यम से नजर रखने की शुरुआत की है. इसके लिए डांगोरली व तेढ़वा इन दो रेती घाटों पर ड्रोन कॅमरे के माध्यम नजर रखी जा रही है तथा इसका प्रत्यक्ष निरीक्षण भी किया गया.

उल्लेखनीय है कि रेती घाटों के परिसर में 24 घंटे ड्रोन के माध्यम से नजर रखकर रेती चुराने में लिप्त वाहनों का पंजीयन लाईसेंस उप प्रादेशिक परिवहन कार्यालय से रद्द कर संबंधित वाहन चालक के खिलाफ फौजदारी कार्रवाई करने का निर्णय लिया है. जबकि इन कारगुजारियों में लगे वाहन बिना क्रमांक वाले हैं. जिससे वस्तुस्थिति सामने नहीं आती इस तरह उन वाहनों का पंजीयन कैसे रद्द हो पाएगा ? यह जटिल स्थिति निर्मित हो गई है.