Chulha

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गोंदिया. संपूर्ण देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महत्वाकांक्षी योजना के रूप में 1 मई 2016 को प्रधानमंत्री उज्ज्वला गैस योजना की शुरुआत की गई थी, किंतु इस ओर अधिकारियों की अनदेखी व शासन से उचित प्रतिसाद नहीं मिलने के कारण योजना दम तोड़ते दिखाई दे रही है. गैस के दाम बढ़ने से महिलाएं पुन: चूल्हे जलाने के लिए मजबूर हो गई हैं.

जिले में 98,000 लाभार्थी
जिले में 3 कंपनियों के माध्यम से प्रधानमंत्री उज्जवला गैस योजना का सन 2019 तक 98 हजार लाभार्थियों को लाभ दिया गया है. इसमें हिंदुस्तान पेट्रेलियम (एचपी), भारत पेट्रोलियम व इंडियन ऑयल कम्पनी अंतर्गत अलग-अलग गैस एजेंसियों के पास बड़ी संख्या में इस योजना के कनेक्शन हैं. वर्तमान में गैस के दाम अधिक बढ़ गए है. जबकि केंद्र सरकार गैस उपभोक्ताओं को केवल 40 प्रश सब्सिडी दे रही है. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब परिवारों ने योजना के तहत कनेक्शन ले रखे हैं. जबकि वह अब भी नियमित रूप से गैस कनेक्शन का उपयोग नहीं कर रहे हैं.

सिलेंडर भरवाने पैसे नहीं
इसमें अधिकांश परिवार की महिलाओं ने गैस पर भोजन बनाना छोड़ दिया है. महिलाएं चूल्हे पर ही खाना बनाना पसंद कर रही है. इसका मुख्य कारण गैस सिलेंडर का महंगा होना बताया जा रहा है. इस संबंध में एक गैस एजेंसी के प्रतिनिधि ने बताया कि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बाद प्रधानमंत्री उज्जवला गैस योजना बंद कर दी गई. योजना की शुरुआत करते समय केंद्र सरकार ने बताया था कि गरीबों के लिए यह नि:शुल्क योजना की शुरुआत की है. जबकि जिन्हें योजना के तहत कनेक्शन दिए गए हैं. उन्हें सब्सिडी की राशि से कनेक्शन के पैसे काट लिए गए है. जिले में वन विभाग के माध्यम से भी बड़ी संख्या में योजना अंतर्गत जंगल परिसर में रहने वाले नागरिकों को गैस कनेक्शन वितरित किए गए हैं, लेकिन अनेक लोगों को गैस सहज व सुलभता से नहीं मिलने पर उन्होंने भी गैस का उपयोग करना बंद कर दिया है.