बंदूक वाले हाथों को मिली किताबें, शिक्षा से नक्सली युवती का जीवन बदला

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    देवरी. लगभग 3 वर्ष पूर्व नक्सल गतिविधि में शामिल गड़चिरोली जिले की ग्राम लाव्हारी निवासी रजुला हिडामी (19) पर लगभग आधा दर्जन मामले दर्ज थे.  नक्सल गतिविधियों में रहते समय रजुला ने पुलिस के खिलाफ गोलीबारी में अनेकों बार भाग लिया. लेकिन रजुला की अंतरात्मा को यह गवारा नहीं था और उसने गोंदिया पुलिस के सामने वर्ष 2018 में आत्मसमर्पण कर दिया.

    आगे शिक्षा जारी रखने की इच्छा देख पुलिस ने उसकी पूरी सहायता की और कक्षा 10वीं की परीक्षा में 51.80 प्रश. अंक लेकर वह सफल हुई. जिन हाथों में कभी बंदूक हुआ करती थी आज उन हाथों में किताबें देख पुलिस विभाग के साथ ही सभी को खुशी हो रही है. रजुला को शस्त्रों की जानकारी  है. 

    कोरची दलम में किया था प्रवेश 

    उसने कोरची कुरखेड़ा दलम के नक्सली गतिविधि में प्रवेश लिया था. लेकिन यह सब कुछ लोगों के बहकावे में आकर उसने किया था और दलम की गतिविधियों में शामिल रहने के बावजूद उसके मन में यहां से बाहर जाने की इच्छा हो रही थी.  लगभग ढाई वर्ष उसने नक्सलियों के साथ जीवन जिया. लेकिन उसकी कम उम्र देख तत्कालीन जिला पुलिस अधीक्षक हरीश बैजल व अपर पुलिस अधीक्षक संदीप आटोडे ने उसे आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया था. 

    अपर पुलिस अधीक्षक आटोडे ने लिया दत्तक

    नक्सल सेल की सहायता से रजुला को देवरी स्थित आदिवासी लड़कियों की शाला व छात्रावास में  लाया गया. कक्षा 10वीं की पढ़ाई के दौरान नक्सल सेल देवरी के कर्मचारियों ने उसे ट्यूशन शिक्षक के रूप में गणित व अन्य विषय भी पढ़ाया. अपर पुलिस अधीक्षक संदीप आटोडे ने स्वयं खर्च से रजुला को स्कूल किट, स्कूल बैग, पुस्तकें, साइकिल व गणवेश आदि खरीदी कर दिए. रजुला जब 16 वर्ष की थी उस वक्त उसके पिता का देहांत हो गया.

    इस बीच कुछ नक्सली उसे बहला फुसलाकर अपने साथ ले गए. उसकी 3 बहनें व 1 भाई हैं. वह परिवार में सबसे छोटी है तथा अपने जानवरों को चराने के लिए जंगल ले गई थी तभी कुछ नक्सलियों ने उसका सेल फोन लेकर दिशा निर्देश पूछने के बहाने उसे अपने साथ ले गए. जहां उसे शस्त्रों व वॉकी टाकी का प्रशिक्षण दिया गया. जल्द ही उसे सभी तरह के प्रशिक्षण मिल गए और उसे दलम में सभी पसंद करने लगे. लड़की की शिक्षा पुन: प्रारंभ करने में अनेक परेशानियां आईं.

    शाला में प्रवेश भी बंद था और उक्त लड़की के पास पर्याप्त दस्तावेज भी नहीं थे. पुलिस ने बताया कि उसने तहसील कार्यालय लिपिक व उसकी पत्नी शिक्षिका के रूप में लड़की के परिवार से मिलने के लिए आवश्यक दस्तावेज तैयार करा दिए हैं. उसकी मां ने उसका पुन: विवाह करा दिया तथा अन्य स्थान पर वह अपना संसार चला रही है ऐसी जानकारी मिलने पर उसकी सहायता करने की दृष्टि से स्पेशल सेल के कुछ पुलिस कर्मियों ने उसे पढ़ाई में मदद की. उसे पॉलिटेक्निक की शिक्षा दिलाने का भी प्रयास किया गया लेकिन उसकी पुलिस  सेवा में शामिल होने की इच्छा है ऐसी जानकारी उसके परिवार से मिली है.