गृह कर्ज सस्ता: सामग्रियां महंगी, घरों का निर्माण कार्य करना हो रहा मुश्किल

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    गोंदिया. गृह कर्ज सस्ता हो गया फिर भी निर्माण कार्य की सामग्रियां महंगी है. जिससे घरों की कीमते दिन ब दिन बढ़ रही है. सर्वसामान्य नागरिकों का घर बनाने का सपना भी दिन ब दिन कठीन हो रहा है. निजी बैंकों से कम ब्याज दर पर कर्ज पूर्ति हो रही है. लेकिन इस कर्ज को हासिल करने के लिए कड़ी शर्तो के साथ प्रक्रिया पूर्ण करनी पड़ती है.

    जिससे सामान्य ग्राहक शासकीय बैंक से कर्ज लेने का प्रयास करते है. लेकिन शासकीय बैंकों से सामान्य ग्राहकों केा प्रतिसाद नहीं मिलने से सस्ते घरों की योजना के साथ ही शासकीय बैंकों से घर के लिए अर्थ सहायता की प्रक्रिया सुलभ करने की मांग सामान्य नागरिकों ने की है. शहर में घरों की कीमतों में बड़े पैमाने पर वृद्धि हुई है.

    शहर के आस पास वाले गांव में भी कीमत बढ़ी है. रेती घाटों की पर्याप्त निलामी नहीं होने से रेती की कमी निर्माण हो रही है. इसका असर रेती के बड़े दामों में देखा जा रहा है. फिलहाल निर्माण कार्य वाले सामग्री के बाजार में चोरी की रेत का प्रमाण अधिक है. गोंदिया में रेती पूर्ति का मुख्य स्त्रोत वैनगंगा नदी है.

    इस क्षेत्र के रेती घाटों की निलामी कर उत्खनन प्रक्रिया की समस्या को दूर करने की आवश्यकता है. इसी तरह डीजल की दर वृद्धि यातायात के बढ़े खर्च से हुई है. जिसका सीध असर निर्माण कार्य साहित्य की महंगाई के रूप में हुआ है. इतना ही नहीं कोरोना काल में उत्पादन बंद होने से मांग की तुलना में पूर्ति का समीकरण बिगड़ गया है. जिससे सीमेंट व लोहे के दामों में भारी उछाल देखा जा रहा है.

    गृह कर्ज की दर कम

    जिले में राष्ट्रीयकृत व निजी बैंकों ने पूर्व की अपेक्षा अब गृह कर्ज के ब्याज दर में भारी कमी की है. इसमें भारतीय स्टेट बैंक 6.75 से 7.30, एलआयसी 6.90, युनियन बैंक 6.80, एचडीएफसी 6.75 से 8.00 व आयसीआयसीआय बैंक का फ्लेट रेट ब्याज दर 6.90 से 8.05 प्रश. है.

    सतत बढ़ रहे सामग्रियों के भाव

    जिले में सन 2018 से 2021 इस तीन वर्ष की अवधि में सीमेंट, ईटा, रेती व लोहे के दामों में वृद्धि हुई है. सन 2018 में सीमेंट जहां 260 रु. में मिलता था वहीं अब 360 रु. में मिल रहा है. ईटा 4 हजार रु. में उपलब्ध था वह बढ़कर अब 7 हजार रु. में मिलने लगा है. रेती 5 हजार रु. ट्रैक्टर थी जो अब 8 हजार रु. में हो गई है.

    इसी तरह लोहा 45 रु. से बढ़कर 58 रु. किलो हो गया है. इस संबंध में निर्माण कार्य व्यवसायी कमल हटवार ने बताया कि फिलहाल बैंकों की ब्याज दर कम है. फिर भी बैंकों की कर्ज उपलब्ध करा देने की प्रक्रिया कठीन है.

    इसमें बढ़ती कीमतों से सर्वसामान्य लोगों को घर का निर्माण करना बड़ा मुश्किल हो गया है. शासन को घरों की योजना के साथ ही गृह कर्ज की प्रक्रिया सुलभ करना आवश्यक है. निर्माण कार्य साहित्य महंगे होने से घरों की खरीदी बिक्री का व्यवसाय मंद गति से शुरू है.