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  • हल्के लक्षण वाले भर्ती, गंभीरों को नहीं मिल रहे बेड

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गोंदिया. कोरोना की दूसरी लहर ने लोगों को परेशान कर दिया है जिससे लोग अब डरे सहमे हुए हैं. परिणाम स्वरूप हर दिन कोरोना के मरीज बढ़ रहे हैं. जिससे शासकीय अस्पताल सहित निजी अस्पतालों में भी कोरोना के मरीजों से बेड फुल हो गए हैं. फिलहाल एक भी बेड खाली नहीं है. जिले में कुल 21 अस्पताल हैं जिसमें 991 बेड हैं. जो सभी फुल हो गए हैं. वहीं 10 कोविड केयर सेंटर शुरू किए गए हैं. इनकी क्षमता 848 होकर केवल 298 ही बेड भरे हुए हैं. वहीं 550 बेड खाली हैं.

कोरोना के सौम्य लक्षण वाले मरीज भी सीधे निजी व शासकीय अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं जिससे गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों को बेड नहीं मिल रहे हैं. संक्रमण न बढ़े, इसे देखते हुए कोरोना की टेस्ट पाजिटिव आने पर आक्सीजन लेवल चेक कर सीधे अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं. जिससे अस्पताल में बेड मिलना कठिन हो गया है. कई अस्पतालों में तो वेटिंग चल रही है. वहीं कुछ लोग कोरोना संक्रमण बीमारी को सोचकर अपनी सेहत घटा रहे हैं.

भय से पैदा हुईं कई समस्याएं

कोरोना के भय के कारण ही कई समस्याएं उत्पन्न हुई हैं. महामारी की स्थिति के कारण चिंता बढ़ी है जिसकी वजह से कई लोगों को नींद तक नहीं आती है. मन के भय का सीधा असर अपने प्रतिरोधात्मक शक्ति पर पड़ता है. तनाव के कारण रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति कम होती है. मन पर तनाव उत्पन्न होने से शरीर में कई तरह के परिवर्तन होते हैं. मानसिक और शारीरिक प्रभाव पड़ता है. भय के वातावरण में रहने पर शरीर की प्रतिरोधात्मक शक्ति 48 घंटों में कम होने लगती है. भय व्यक्ति को गंभीर बीमारी की ओर ले जा सकता है.

आक्सीजन लेवल पर असर

डाक्टरों के अनुसार भय के कारण ही हार्टबीट्स बढ़ते हैं जिसका सीधा असर आक्सीजन पर पड़ता है. अत: सर्वप्रथम लोगों को किसी भी तरह का भय नहीं रखना चाहिए. डर को कम करने के लिए कुछ सटीक बातों को करना जरूरी है. सोशल मीडिया के संदेश पर विश्वास नहीं किया जाना चाहिए. सर्वप्रथम उसे पढ़ऩा बंद किया जाना चाहिए. इसे आगे पोस्ट नहीं करना चाहिए. इसके अलावा न्यूज देखना बंद किया जाना चाहिए. केवल समाचार पत्र पढऩा चाहिए. व्यक्ति को क्या सोचना चाहिए, यह उसके हाथों में है. परिवार के साथ एकत्रित रहकर सकारात्मक दिनचर्या बिताना चाहिए. कोरोना होने के बाद भी स्वास्थ्य ठीक हो जाएगा यही सकारात्मक विचार रखना चाहिए.