Crop Insurance

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    गोंदिया. जिले में गत वर्ष अगस्त माह में बाढ़ की परिस्थिति निर्माण होने के बाद बड़े पैमाने पर किसानों का नुकसान हो गया था. इसके बावजूद फसल बीमा धारक किसानों को नुकसान मुआवजा नहीं मिला है. जिससे इस बार फसल बीमा कराने के लिए अवधि बढ़ाने के बाद भी जिले के किसानों ने फसल बीमा कराने की दिशा में कोई पहल नहीं की. जबकि गत वर्ष 56640 किसानों ने फसल बीमा निकाला था.

    वहीं इस बार केवल 12068 किसानों ने बीमा कराया है और इस तरह इस बार फसल बीमा कराने वाले किसानों की संख्या कम है. बीमा कंपनियां स्वयं का पेट भरकर किसानों को कंगाल बना रही है. जिससे फसल बीमा कैसे कराएं ऐसा सवाल किसान कर रहे हैं. केवल 21.30 प्रश.बीमा जिले में गत वर्ष अतिवृष्टि और बाढ़ की परिस्थिति से नुकसान होने के बाद भी फसल बीमा कराने वाले किसानों को मुआवजा नहीं मिला है.

    जिससे इस बार केवल 21.30 प्रश. याने 12068 किसानों ने फसल बीमा कराया है. फसल बीमा कंपनियों के माध्यम से नुकसान का उचित सर्वेक्षण नहीं किया जाता है. जिससे किसानों को मदद से वंचित रहना पड़ता है. उल्लेखनीय है कि अन्य फसलों की तुलना में धान के फसल नुकसान मुआवजा के लिए अलग मानक लगाया जाता है.

    जिससे भुगतान प्राप्त करने में दिक्कतें आती है. किसानों के रुख में परिवर्तन जिले में कुल 2 लाख 72 हजार खातेधारक किसान है. इसमें से गत वर्ष 56640 किसानों ने फसल बीमा निकाला था. इसमें बीमा किस्त के रूप में किसान, राज्य और केंद्र सरकार ने कुल 16 करोड़ रु. भरे थे. इसी में गत वर्ष अगस्त माह में बाढ़ की परिस्थिति निर्माण होने से किसानों का बड़े पैमाने पर नुकसान हो गया था लेकिन बीमा कंपनी ने केवल 4333 किसानों को मदद के लिए पात्र ठहराकर 2 करोड़ रु. नुकसान मुआवजे का भुगतान किया.

    नुकसान होने के बाद भी लाभ नहीं मिलने से किसानों ने फसल बीमा कराने के रुख में परिवर्तन किया है. तहसील में बीमा कराने वाले किसानों की सुची जिले में बीमा कराने वाले किसानों की तहसील अनुसार सुची इस प्रकार है.

    इसमें आमगांव 633, अर्जुनी मोरगांव 633, देवरी 931, गोंदिया 1563, गोरेगांव 1437, सड़क अर्जुनी 2829, सालेकसा 748 व तिरोड़ा तहसील अंतर्गत 3272 किसानों का समावेश है. इस संबंध में नवेगांवबांध के किसान रामदास बोरकर के अनुसार नैसर्गिक आपत्ती से फसल के नुकसान होने पर उसका मुआवजा मिले. इसके लिए फसल बीमा निकाला था.

    लेकिन गत वर्ष नुकसान होने के बाद भी मुआवजा नहीं मिला है. जिससे इस बार बीमा नहीं कराया है. इसी तरह किसान देवीदास जमाईवार का कहना है कि फसल बीमा कंपनियों द्वारा हर वर्ष किसानों को भ्रमित किया जाता है. गत वर्ष बाढ़ और अतिवृष्टि होने के बावजूद बीमा कंपनी ने कोई लाभ नहीं दिया. जिससे गत वर्ष के कछुएं अनुभव को ध्यान में रखकर इस बार फसल बीमा नहीं निकालने का निर्णय लिया है.

    इस संदर्भ में जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी गणेश घोरपड़े ने बताया कि जिला सबसे अधिक धान का क्षेत्र है. वहीं धान फसल के नुकसान के लिए बीमा कंपनियां अलग मानक लगाती हैं. जिससे किसान को नुकसान मुआवजा मिलने से वंचित रहना पड़ता है. इसी वजह से बीमा कंपनियों को इस बार नुकसान के वस्तु पुरक सर्वेक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं.