vaccine
Representative Image

    Loading

    गोंदिया. जैसे जैसे कोरोना संक्रमण में वृद्धि हो रही है वैसे-वैसे लोग वैक्सीनेशन कराने की ओर आकर्षित हो रहे हैं. सरकारी वैक्सीनेशन (टीकाकरण) शहर के केटीएस अस्पताल व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में किया जा रहा है. शहर के ही कुछ निजी अस्पतालों में भी वैक्सीनेशन की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जहां पर शुल्क देना पड़ता है. सरकारी अस्पताल का टीकाकरण नि:शुल्क है. लेकिन दिक्कत यह है कि अभी भी समाज का एक बड़ा वर्ग है जो वैक्सीन लेना नहीं चाहता.

    कई लोग गलतफहमी के शिकार

    कई लोगों को वैक्सीन ही अहमियत का पता नहीं है या वे गलतफहमियों के शिकार है. अब सभी स्वास्थ्य विभाग, अधिकारियों और राजनीतिकों की ओर से वैक्सीन लगवाने का आव्हान किया जा रहा है. लेकिन हकीकत यह है कि जनता उनकी उपेक्षा कर रही है और कुछ मामलों में जनता तक उनकी आवाज नहीं पहुंच रही. 

    कोरोना से जंग जीतने करें मंथन

    आरंभ में कोरोना योद्धा रहे डाक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों, सुरक्षा कर्मियों, पुलिस को वैक्सीन दी गई. उसके बाद किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित  सीनियर सिटीजनों को वैक्सीन लगाई गई. 60 वर्ष या उसके ऊपर आयु सीमा वाले नागरिकों को वैक्सीन दी गई. हाल ही में 1 मई के बाद सभी 18 से ऊपर आयु वर्ग के नागरिकों को वैक्सीन लगाने की घोषणा हो चुकी है. इन्हीं सब आयोजनों के बीच समाज का बड़ा तबका अभी भी टीकाकरण के कार्यक्रमों से वंचित है. जिसके कई कारण हो सकते है. लेकिन कोरोना प्रकोप को रोकने के लिए उक्त कारणों को ढूंढ कर समाधान तक पहुंचना अब जरुरी हो गया है. अन्यथा कोरोना के खिलाफ चल रही जंग जीतना मुश्किल होगा.