Violation of rules, action on 6080 - penalty of 28 lakh recovered

  • समाज अध्यक्ष द्वारा प्रशासन से आर्थिक मदद की मांग

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गोरेगांव. कोरोना वायरस उपाय योजना के तहत देश 22 मार्च से लॉक डाऊन है जिसमें रोजगारी बंद होने से लगभग सभी वर्गों पर इसका असर पड़ा है परंतु वही इसका सबसे ज्यादा दुष्परिणाम नाभिक समाज पर हो रहा है. तहसील में सैकड़ों सलून सेंटर है जिसमें हजारों कारागीर कार्य करते हैं इन सभी की रोजगारी बंद हो जाने से अपने परिवार को पालन पोषण कैसे करें ऐसा प्रश्न नर्मिाण हो रहा है.

लॉक डाऊन के बाद से आज तक धीरे धीरे प्रशासन ने  लगभग सभी दुकानदारो को कुछ शर्तों के साथ  अपनी दुकानें खोलने की अनुमति दी है. वही सलून सेंटर व पान टपरीयो को अभी भी अनुमति नहीं दी है जिस कारण  3 महीने के लॉक डाऊन के चलते  परिवारों के सामने भूखे मरने के नौबत आ गई है. 

जिला प्रशासन ने  पिछले महा कुछ दिनों तक सलुन दुकाने खोलने की अनुमति दी जिससे कुछ राहत तो मिली परंतु वे कुछ वक्त तक सीमित रही. जिले में एक व्यक्ति की कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट ने सलून दुकानों पर फिर से ताला जड दिया है.  तहसील में इन दिनों लगभग सभी दुकानदार अपना अपना व्यापार ठीक-ठाक कर रहे हैं वही नाभिक समाज अब तक परेशान है. समाज द्वारा अनेकों बार प्रशासन से आर्थिक मदद की गुहार लगाई जिसके लिए जिले में समाज की ओर से अनेक निवेदन भी दिए गए हैं परंतु इस समाज को प्रशासन से अब तक कोई भी मदद नहीं मिली  जो दुर्भाग्यपूर्ण है.

नाभिक समाज के परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा है जिस कारण इन्हें प्रशासन द्वारा आर्थिक मदद की शक्त आवश्यकता है जिसके चलते शहर नाभिक समाज के अध्यक्ष अमोल चन्ने ने  समस्या से जूझ रहे नाभिक समाज के परिवारों के साथ न्याय कर  प्रशासन से आर्थिक मदद मांग की है.