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  • अनाज का वितरण करने की मांग

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गोंदिया. कोरोना काल में जिप स्कूल के विद्यार्थियों को पोषण आहार का वितरण किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर आदिवासी आश्रमस्कूलों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को पोषण आहार से वंचित रखा जा रहा है. जबकि शासन ने कोरोना काल में इन विद्यार्थियों को भी उनके हिस्से का राशन देकर उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए.

बताया गया कि जून के अंतिम सप्ताह से नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत होती है, किंतु कोरोना संक्रमण के चलते स्कूलों को शुरू करने की अनुमति नहीं दी गई है. ऐसे में उनका शैक्षणिक नुकसान न हो इसके लिए विभिन्न उपक्रम के तहत उन्हें शिक्षा दी जा रही है. गंभीर स्थितियों को देखते हुए शासन ने मिड डे मिल योजना के तहत जिप स्कूलों में अध्ययनरत कक्षा पहली से 8वीं तक विद्यार्थियों के हिस्से का पोषाहार वितरित किया जा रहा है. जबकि आदिवासी आश्रम स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को पोषण आहार से वंचित रखने का कार्य भी शासन किया जा रहा है.

जिले में हैं 11 आश्रम शालाएं

जिले में आदिवासी विकास प्रकल्प की 11 आश्रमशालाएं संचालित है. जहां पर कक्षा पहली से कक्षा 12वीं तक 3 हजार 700 रुपये से अधिक विद्यार्थियों के लिए शासन की ओर से आश्रमशालाओं को अनाज दिया जाता है. कोरोना काल में आश्रम स्कूल बंद होने के कारण उनके हिस्से के अनाज से विद्यार्थियों को वंचित रखा जा रहा है. शासन द्वारा जिस तरह जिप स्कूल के विद्यार्थियों को पोषण आहार वितरित किया जाता है, उसी तर्ज पर आदिवासी विद्यार्थियों को भी अनाज का वितरण करना चाहिए. 

नहीं मिला कोई आदेश : चौधरी

देवरी के सहायक प्रकल्प अधिकारी गिरीश चौधरी के अनुसार आश्रम स्कूल बंद है, किंतु शिक्षा शुरू है. विद्यार्थियों को उनके घरों में जाकर साधन व्यक्तियों के माध्यम से शिक्षा का पाठ पढ़ाया जा रहा है. शासन का ऐसा कोई अभी फिलहाल निर्देश प्राप्त नहीं है कि उन्हें अनाज दिया जाए.