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  • खरीदी केंद्र शुरू नहीं होने से परेशानी

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तिरोड़ा. हलके धान की कटाई पूरी हो चुकी है. उसे किसानों ने अपने घर पर लाकर रखा है. जरूरतमंद किसान कम कीमत में ही अपने धान को बेच रहे हैं. आगे दिवाली त्योहार होने से खेत मजदूरों का पेमेंट देने व स्वयं के लिए भी रुपए जमाना किसानों को आवश्यक हो गया है. यह किसान व्यापारियों को कम दर में अपनी धान फसल बेच रहे हैं. असल में किसानों के सामने यह हालात निर्माण होने के पीछे मुख्य वजह धान खरीदी केंद्रों का नहीं खुलना है. यदि समय पर धान खरीदी केंद्र खुल जाते तो व्यापारियों को कम दामों में धान को बेचना नहीं पड़ता.

सहकारी सेवा संस्था को दे मंजूरी

तहसील में कार्यरत 66 संस्थाओं को राज्य सरकार की ओर से गोदाम बनाकर धान खरीदी की मंजूरी देने पर किसानों का धान ग्राम की संस्था में ही जाएगा. इससे संस्थाओं पर भीड़ भी कम हो जाएगी. किसान अपने कृषि उपज की निगरानी कर सकेगा. इससे सरकार की ओर से मिलने वाला किराया व कमीशन ग्राम की किसानों की संस्थाओं को प्राप्त होगा. मृतावस्था में जा रही संस्थाओं को जीवनदान मिलेगा. सरकार की ओर से घोषित समर्थन मूल्य पर ही धान खरीदना है, ऐसे में कम-ज्यादा रेट देने का सवाल ही निर्मित नहीं होता. 

संस्थाध्यक्ष पटले ने की मांग

इससे निजी संस्थाओं में चल रही घूसखोरी कम होगी और घूसखोरी करने वाली संस्थाओं को बैक लिस्टेड करने की प्रक्रिया और तेज हो जाएगी. अत: ऐसे में विविध कार्यकारी सेवा सहकारी संस्थाओं को गोडाउन बनाने की मंजूरी देकर उन्हें ही आधारभूत धान खरीदी केंद्र घोषित करें. ऐसी मांग संस्था के जिलाध्यक्ष शिशुपाल पटले ने की है.