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गोंदिया. महाराष्ट्र राज्य ग्रापं कर्मचारी महासंघ (आयटक) के नेतृत्व में जिले के ग्रापं कर्मियों ने 1 जून से काले फीते लगाकर अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरु किया है. राज्य महासंघ के संगठन सचिव मिलिंद गणवीर ने बताया कि जिले के लगभग सभी कर्मियों को जनवरी माह से अब तक का वेतन भत्ता नहंी दिया गया. इसके पूर्व का भी वेतन भत्ता पंचायतों की ओर बकाया है. इसे दिलाए जाने के लिए महासंघ द्वारा जिप सीईओ, जिप उप कार्यपालन अधिकारी व खंडविकास अधिकारी को कई बार ज्ञापन सांैपे गए लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया.

इन कर्मियों ने 11 मई को 1 दिन भूखे रहकर काले फीते लगाते हुए ग्राम विकास विभाग व जिप प्रशासन का निषेध किया था. तब कहीं राज्य सरकार ने इनके खाते में एक माह का वेतन अनुदान जमा किया. ग्रापं स्तर पर कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए सरकार द्वारा अनेकों उपक्रमों के तहत निर्मुलन अभियान चलाया जा रहा है जिसमें अत्यंत कम वेतन पर दिन रात काम करने वाले यह कर्मी अग्रणी भूमिका निभा रहे है तथा इन्हें क्वारंटाइन सेंटर में भी रात्री के दौरान काम पर लगाया दिया गया है जबकि इसके पूर्व यह कार्य जिप शिक्षकों को लिया गया था और उनके इंकार के बाद यह काम खंडविकास अधिकारी ने ग्रापं कर्मियो पर लाद दिया है.

हर माह की 5 तारीख के भीतर धनादेश द्वारा वेतन भत्ता अदा किए जाने का नियम होने के बावजूद इन्हें 6-6 माह वेतन न देना यह नियमों का उल्लंघन है. आंदोलन में जिले के लगभग 700 कर्मी शामिल हुए है. प्रति निधि मंडल ने उपजिलाधीश, उपविभागीय अधिकारी, जिप उप कार्यपालन अधिकारी (ग्रापं) को ज्ञापन सांैपकर मांगे पुरी होते तक यह आंदोलन जारी रहने की सूचना दी.

आंदोलन का नेतृत्व जिलाध्यक्ष चत्रुघन लांजेवार, कार्याध्यक्ष सुखदेव शहारे, संगठन सचिव विष्णु हत्तीमारे, सचिव रविंद्र किटे, कोषाध्यक्ष महेंद्र भोयर,  उपाध्यक्ष इ र्श्वरदास भंडारी, आशिष उरकुडे, खोजराम दरवडे, बुधराम बोपचे, अशोक परशुरामकर, विनोद  शहारे, खुशाल बनकर, महेंद्र कटरे, देवेंद्र मेश्राम, धनेश्वर जमईवार, उत्तम डोंगरे, निलेश मस्के, माणिक शहारे, देवेंद्र दुरुगकर, सुनिल लिल्हारे, दिप्ती राणे, संगीता चौरे, सुनिता ठाकरे, चांदनी शहारे, नुरखां पठान, नरेश कावडे, बावनथडे़ आदि कर रहे है.