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अर्जुनी मोरगांव. आदिवासी विविध कार्यकारी संस्था के माध्यम से आदिवासी विकास महामंडल ने अर्जुनी मोरगांव तहसील के अंतर्गत केशोरी परिसर के किसानों से सात बारा के अनुसार रबी मौसम में धान व मकई फसल की खरीदी की है, लेकिन 3 माह बीत जाने के बावजूद महामंडल ने चुकारों का भुगतान नहीं किया है. जिससे किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है.

सता रही खर्च की चिंता
इस वर्ष रबी मौसम में धान व मकई फसल सात बारा में दर्ज जगह के अनुसार किसानों से खरीदी की है. संस्था द्वारा खरीदी किए गए माल की हुंडी भी महामंडल को भेज दी है लेकिन  चुकारों का भुगतान नहीं होने से खरीफ मौसम के लिए लगने वाला खर्च किसान वर्ग कैसा करे यह सवाल निर्मित हो गया है. उल्लेखनीय है कि हर वर्ष किसान रबी धान की आय पर खरीफ मौसम के खर्च का नियोजन करता है. इस वर्ष महामंडल से धान का चुकारा  अब तक नहीं किया गया है. 

व्यक्त कर रहे रोष
इतना ही नहीं तो चुकारों का भुगतान नहीं होने से किसान शासन के खिलाफ रोष व्यक्त करने लगे हैं. इसी तरह इस वर्ष महामंडल के माध्यम से धान की बिक्री के समय बारदाना उपलब्ध नहीं कराया गया जिससे किसानों को खुले बाजार से बारदाने की खरीदी करनी पड़ी. उन बारदानों की राशि भी महामंडल ने नहीं दी है. विशेष बात यह है कि जिस क्षेत्र में महामंडल द्वारा रबी धान फसल की खरीदी नही की गई उस क्षेत्र के किसानों से कृषि उपज बाजार समिति ने फेडरेशन के अंतर्गत रबी धान की खरीदी की है. 

दी आंदोलन की चेतावनी
चुकारों का फेडरेशन ने तत्काल भुगतान कर दिया है. जबकि आदिवासी विकास महामंडल के माध्यम से खरीदी किए रबी धान व मकई के चुकारों का अब तक भुगतान नही किया. इस प्रकिया में किसानों के साथ भेदभाव करने का आरोप किसानों ने लगाया है.  किसानों ने आदिवासी विकास महामंडल के वरिष्ठ अधिकारियों से तत्काल चुकारों का भुगतान करने की मांग करते हुए आंदोलन  की चेतावनी  दी है.