School Bus
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  • शाला बंद होने छीन गया रोजगार

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गोंदिया. कोरोना के चलते देश में 25 मार्च से लॉकडाउन घोषित किया गया. जिससे कई लोगों का रोजगार छीन गया है. उनमें स्कूल बस चालकों व परिचालकों पर भारी मुसीबत आ गई है. अप्रैल से 8 महीने बितने के बाद भी स्कूल बस बंद ही हैं और उनके समक्ष जीवन निर्वाह का सवाल खड़ा हो गया है. स्कूल बंद होने से वाहन चालकों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. अब भी कई लोगों के हाथों रोजगार नहीं होने से उन पर भूखों मरने की नौबत आ गई है.

जिले के आमगांव, सालेकसा, देवरी, सड़क अर्जुनी, गोरगांव, अर्जुनी मोरगांव, गोंदिया व तिरोड़ा इन 8 तहसीलों में स्कूल बसों की संख्या 289 है. इन्हें चलाने वाले चालक व परिचालक जीवन निर्वाह कैसे करें? यह गंभीर समस्या निर्मित हो गई है. काम नहीं तो वेतन नहीं ऐसा संकट अधिकांश चालक झेल रहे हैं. इसमें कुछ शालाओं ने बस चलाने वाले चालकों को शुरुआत में आधा वेतन दिया है, लेकिन शाला शुरू होने के संकेत दिखाई नहीं देने पर वेतन देना बंद कर दिया.

शाला बंद होने से शिक्षकों को आधा वेतन देना पड़ रहा है. शिक्षक विद्यार्थियों को घर पर पढ़ा रहे हैं, लेकिन बस चालकों के पास कोई काम नहीं है. चालकों को वेतन शाला से देना संभव नहीं है. लोन पर लिए गए वाहन की किश्त का भुगतान कैसे करें यह भी एक समस्या है. ऐसा स्कूल बस मालिक संगीता डोये का कहना है. इसी तरह स्कूल बस के संचालक राजेश गोयल ने बताया कि शाला बंद होने से विद्यार्थियों को ऑन लाइन शिक्षा दी जा रही है, लेकिन शाला शुल्क देने के लिए पालक जल्द तैयार नहीं होते. शिक्षकों को वेतन देना पड़ रहा है. जबकि शाला व्यवस्थापन को खर्च संभालना संभव नहीं हो रहा है. कोरोना से बस चालकों के पास काम नहीं है. 

कोरोना ने हमारा रोजगार छीना

स्कूल बस चालक राजेश तुरकर का कहना है कि कोरोना ने हमारा रोजगार छीन लिया है. 8 महीने से वेतन नहीं मिला है. शुरुआत में 3 महीने घर पर पड़ा रहा. परिवार को चलाने की चिंता सता रही थी. अब भी यह चिंता कायम है, किंतु जो भी काम मिले उसे कर परिवार की गाड़ी चलाना पड़ रहा है. 

निजी वाहन से मिला रोजगार

राधेश्याम बहेकार ने कहा कि कोरोना काल में शाला अचानक बंद हो जाने से काम नहीं रह गया. काम की अपेक्षा कैसे करेंगे. इसके लिए अब निजी वाहन चलाना शुरू किया है. निजी वाहन से रोजगार मिल गया है. 2 पैसे कमाकर परिवार का जीवन निर्वाह कर रहे हैं.