Protest
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  • किसान महासंघ संगठन ने की मांग

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तिरोड़ा. सरकार ने तुरंत ध्यान देकर विनोबा भावे के उद्देश्य को तवज्जो देकर उनके उद्देश्य को जीवित रखा जाए व भू-दान जगह की अफरा-तफरी पर रोक लगाने की मांग राष्ट्रीय पर्यावरण व किसान महासंघ संगठन के तहसील अध्यक्ष आर. एस. रहांगडाले (काचेवानी) द्वारा की गई. पड़ित बगैर उपजाउ व जरूरत से ज्याद जगह मालिक से भूमिहिन बगैर जगह मालिकों को जगह देकर इस जगह में फसल का उत्पादन कर जनता को अनाज उपलब्ध हो इस विचार के मद्देनजर आचार्य विनोबा भावे ने आंदोलनात्मक कदम उठाकर भू-दान अभियान शुरू किया.

अभियान को सरकार ने माना. भू-दान यज्ञ मंडल की स्थापना की गई. अपने क्षेत्र में कई हेक्टेयर जगह प्राप्त हुई. भूमिहीनों को उनकी सहमति से भू-दान यज्ञ मंडल द्वारा उत्पदान के लिए जगह दी गई. इस जगह को सरकारी रिकार्ड में दर्ज कर उस सात बारा में भू-दान धारक का नाम शामिल किया गया. वर्तमान में वितरित की गई जगह पर कई जगह धारक फसल उत्पादित नहीं करते. इन जगहों पर व्यक्तिगत मकान, अवैध मालकी, रास्ता, तालाब, इमारत बनाने से जगह अब उत्पादन करने लायक नहीं रही.

सरकार के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी
आचार्य विनोबा भावे ने अपने जीवन में संघर्ष कर भू-दान आंदोलन खड़ा कर सफलता हासिल की, लेकिन सरकार यंत्रणा की अनदेखी से वर्तमान में स्थिति नजर आ रही है. सरकार ने सात-बारा उतारा में भू-दान धारक इस प्रकार दर्ज किया है. भू-दान अहस्तांतरणीय ऐसा भी दर्ज करने का सरकारी आदेश हैं, इसका सार यह है कि जगह में उत्पादन करने के साथ ही भू-दान धारक होकर भू-दान मालिक नहीं है, किंतु इन जगह पर सरकार की कड़ी नजर होनी चाहिए. जिस कार्य के लिए जगह दी गई है वह भूलकर अलग मार्ग अपनाकर जगह का सदुपयोग की बजाए दुरुपयोग हो रहा है.  अनदेखी करने पर सरकार के विरोध में तीव्र आंदोलन की चेतावनी भी दी गई.