औषधीय गुणों का खजाना है तरोटा, आदिवासी क्षेत्रों में अतिरिक्त आय के लिए किया जा रहा संकलन

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    देवरी. प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर जीवन को सादगी से जीने की कला में आदिवासी समाज के लोग आज भी आगे हैं. मौसम चाहे जो भी हो, प्रकृति से ये कुछ न कुछ हासिल कर ही लेते हैं. शायद यही वह हुनर है, जो इन्हें स्वस्थ और संक्रमित रोगों से दूर रखता है. हमारे आसपास स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है. ऐसे बहुत से  प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध होते हैं जिनमें चमत्कारी औषधीय गुण होते हैं पर जानकारी के अभाव में  उनुपयोगी समझ कर ध्यान नहीं दिया जाता या फिर फेंक दिया जाता है.

    उन्हीं में से एक है, बरसात के मौसम में हर जगह खरपतवार की तरह उगने वाला पौधा जिसे आम बोलचाल में तरोटा कहा जाता है. मेथी के पौधे की तरह दिखने वाला तरोटा, जो देश में करीब करीब हर जगह उपलब्ध हैं, पर कम लोग ही तरोटा के औषधीय गुणों से परिचित हैं और इसलिए खेत खलिहानों, मैदानी भागों के अलावा सड़क के किनारे प्रचुरता से मिलने वाले तरोटा को लोग खरपतवार समझ कर ध्यान नहीं देते. पर आदिवासी समाज के लोगों को इसके औषधीय गुणों की जानकारी उनके पुरखों से मिली है और आज भी विदर्भ, छत्तीसगढ़, ओड़ीसा, झारखंड क्षेत्र के आदिवासी इलाकों में तरोटा का उपयोग भोजन और औषधि के रूप में किया जाता है.

    आज तरोटा अपने औषधीय गुणों की वजह से चर्चा में है जिसका सारा श्रेय आदिवासी समाज को जाता है. आदिवासी इलाकों में बारिश के दिनों में उगने वाले तरोटा के कोमल हरे पत्तों की सब्जी बनाई जाती है और अब इसकी ख्याति शहरी क्षेत्रों तक भी पहुंचने लगी है और शहरों में भी तरोटा भाजी की मांग बढ़ने लगी है.

     

    अनेक रोगों का इलाज है तरोटा

    तरोटा सीजल पीनेसी कुल का पौधा है, इसका वनस्पतिक नाम केसिया टोरा है. इसे चक्र मर्द भी कहा जाता है. पवांड भी कहा जाता है. इसे देशभर में अलग अलग नामों से जाना जाता है. चक्र वर, चकोड़ा, फहांडिया, पवांड, पनवड़ चरोटा के प्रचलित नाम हैं. आयुर्वेद में तरोटा गर्म प्रकृति की और वात व कफनाशक बताया गया है. इसकी पत्तियों में पर्याप्त मात्रा में आयरन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और प्रोटीन मिलता है और इनका यह कॉम्बिनेशन और सब्जियों में कहीं नहीं पाया जाता. तरोटा के कोमल पत्तों की सब्जी खाने से अनेक बीमारियों से सुरक्षा मिलती है. कुष्ठ रोग, डायबिटीज़, खांसी, एक्जीमा, सोरायसिस व आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए तरोटा भाजी को रामबाण औषधि माना गया है. 

     

    बीज बहुउपयोगी है 

    तरोटा के बीजों को काफी बनाने सहित सौंदर्य प्रसाधनों में बनने वाले क्रीमों में कंपनियों द्वारा उपयोग किया जाने लगा है. इसके अलावा विभिन्न किस्म के चर्मरोग और एंटी फंगल क्रिम बनाने में भी तरोटा बीज का उपयोग होता है. 

    कोरोना के विरुद्ध रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली सब्जियों में अव्वल है. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय में हुए शोध में पाया गया है कि तरोटा  में कोरोना से लड़ने की भरपूर क्षमता है और इसी वजह से तरोटा की मांग न केवल चीन में है बल्कि ताइवान और मलेशिया में भी इसकी बहुत मांग है.

     

    आदिवासी इलाकों में आय का साधन बना 

    तरोटा का बीज पूर्व विदर्भ, छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल इलाकों में आय का अतिरिक्त स्रोत बन रहा है. 

    ग्रामीण क्षेत्रों में इसका सूखा बीज 1500 रु. प्रति क्विंटल तक बिकता है. औषधीय गुणों की वजह से तरोटा बीज की चीन, मलेशिया व ताइवान जैसे देशों में अच्छी खासी मांग रहती है और गत दशक से इन देशों में तरोटा बीज का निर्यात भी हो रहा है. प्रति वर्ष इन देशों में हजारों टन तरोटा बीज का निर्यात किया जाता है.

    तरोटा की व्यवसायिक रूप से खेती करने आदिवासी बहुल क्षेत्रों में आर्थिक विकास की नई क्रांति आ सकती है. इसके बीजों के बहुउपयोगी होने की वजह से इस पर आधारित कई लघु उद्योग खुल सकते हैं. रोजगार के नए अवसर और आर्थिक विकास की नई राह तैयार हो सकती है. 

    रायपुर बीज की बड़ी मंडी

    देवरी के वनोपज व्यापारी उमेश पालीवाल ने बताया कि तरोटा बीज की बड़ी मंडी छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर है. इसके अलावा गुजरात में इसकी बहुत मांग रहती है. इसकी कीमत मांग के अनुरूप कम ज्यादा होती रहती है और विगत वर्ष तो 2400 रु. प्रति क्विंटल तक पहुंच गई थी. 

    कई पीढ़ियों से खाई जा रही भाजी

    ग्राम बिलारगोंदी के अरुण जमदाड ने बताया कि बारिश के मौसम में उगने वाली तरोटा भाजी हम पीढ़ियों से खाते आ रहे हैं. इसमें बहुत सारे बीमारियों को ठीक करने की अद्भुत क्षमता है, लेकिन इसकी तासीर गर्म होती है अतः इसका ज्यादा सेवन नहीं किया जाता. 

    कई औषधीय गुणों से भरपूर

    गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर के डा.ए.के. दीक्षित ने बताया कि शोधों से पता चला कि तरोटा भाजी और बीज में रोग प्रतिरोधक शक्ति बढाने की अद्भुत क्षमता है. इसके अलावा इसके सेवन से लीवर को भी फायदा होता है. ये एंटी बैक्टीरियल व एंटी फंगल है, इसके औषधीय  गुणों पर अभी भी शोध शुरू हैं.