सालेकसा. गैर अनुदानित उच्च माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों को राज्य सरकार द्वारा वेतन देने का निर्णय लिया गया था. लेकिन इस निर्णय पर अमल में टालमटौल किया जा रहा है. इससे राज्य के 22500 उच्च माध्यमिक शिक्षकों ने वेतन नही तो स्कूल नही जाने का निर्णय लिया है. 1 जुलाई से गैर अनुदानित उच्च माध्यमिक स्कलों के शिक्षकों का स्कूल नहीं जाने का निर्णय महाराष्ट्र राज्य गैरअनुदानित उच्च माध्यमिक स्कूल कृति संगठन ने लिया है. राज्य के 22500 शिक्षकों को पिछले 20 वर्षो से वेतन नहीं दिया गया है. इसके बावजूद यह शिक्षक अपना काम कर रहे है.
सरकार ने 28 फरवरी 2018 को 146 उच्च माध्यमिक स्कूलों को अनुदान घोषित किया था. 13 सितंबर 2019 को 1638 उच्च माध्यमिक स्कूलों को 1 अप्रैल 2019 से अनुदान देने की घोषणा की थी. इस संदर्भ में 26 फरवरी 2020 को राज्य के बजट अधिवेशन में 1,06,72,76,000 रु.मंजूर किए गए थे. लेकिन इसके बाद भी सरकार अनुदान वितरण में टालमटौल कर रही है. उसी प्रकार शिक्षकों ने वेतन की मांग को लेकर पिछले माह आत्मक्लेश व अन्न त्याग आंदोलन किया था. सरकार द्वारा बार बार आश्वासन दिया जा रहा है. लेकिन उस पर अमल नहीं हुआ. इस कारण शिक्षकों ने अब सरकार की नीति के विरोध में वेतन नहीं तो स्कूल नहीं जाने का निर्णय लिया है.
उच्च माध्यमिक शिक्षक वेतन नहीं मिलने पर 1 जुलाई से स्कूल नहीं जाएगे. गैरअनुदानित उच्च माध्यमिक शिक्षक कृति समिति व नागपुर संभाग महासचिव प्रा.कैलाश बोरकर के अनुसार शिक्षक पिछले 18-20 वर्ष से बगैर वेतन काम कर रहे है. सरकार द्वारा शिक्षकों का वेतन वितरण संबंधी निर्णय लिया गया था. लेकिन उस पर अब तक अमल नहीं किया गया है. कोरोना महामारी के दौरान बहुत से शिक्षकों के सामने भुखमरी की नौबत आ गई है. 30 जून तक निर्णय नहीं लिया गया तो 1 जुलाई से सरकार की नीति के विरोध में वेतन नहीं तो स्कूल नहीं जाने का निर्णय संगठन की ओर से लिया गया है.