दोहरी मार झेल रहा जिले का किसान

  • बढ़ती ही जा रही किसानों की समस्याएं

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गोंदिया. जिले का किसान दोहरी मार झेल रहा है. एक ओर कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन से उपजे आर्थिक संकट से जूझ रहा है. वहीं दूसरे प्राकृतिक प्रकोप के कारण फसलें खराब होने से उनकी हालत और खराब हो गई है. जिले में धान फसल का उत्पादन बड़े पैमाने में होता है, किंतु बेमौसम बारिश से धान फसल खराब हो गई, वहीं उसमें अंकुर निकलने लगे हैं. यही वजह है कि मौसम व फसलों की स्थिति को देखकर किसान सोच में पड़ गए है. हालांकि देखा जाए तो कृषि क्षेत्र में कोरोना संकट काल में भी अन्य काम धंधों की तुलना में कामकाज जारी था. जिससे ऐसा लग रहा था कि कोरोना के कारण पूरी फसल ही हाथ से चली जाएगी.

ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों को उस दौर में भी मजदूरी के रूप में काम कृषि से ही मिला था. बड़े शहरों में निजी कम्पनियों के लाखों के रोजगार डूब गए, वहां खेती ने ही किसान व मजदूरों को संकट से उबारा है. अब तो अधिक पैमाने में बेमौसम बारिश से तुअर, लखोड़ी, अलसी व अन्य सब्जी भाजी की फसलें खराब होने लगी हैं. वहीं इन फसलों पर इल्लियों का प्रकोप बढ़ने से किसान और चिंता पड़ गए है. किसानों को बीज कम्पनियों ने भी दगा दिया था. नकली धान बीजों की शिकायतें दर्ज हुई थीं.

बोगस बीजों की वजह से किसानों को दुबारा पैसे खर्च कर उगाई गई फसलों को बेमौसम बारिश ने तहस-नहस कर दिया है. प्रकृति का प्रकोप समूचे जिले के साथ विदर्भ में दिखाई दे रहा है. यही वजह है कि किसानों की दिवाली काली ही रही थी. हालांकि प्राकृतिक प्रकोप को रोकना किसानों के हाथ में नहीं है, किंतु किसानों के प्रति वर्ष जो संकट की श्रृंखला चली आ रही है वह समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है.