आदिवासी गांवों के बीच होगी विकास की प्रतिस्पर्धा, केन्द्र सरकार देगी पुरस्कार

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    गोंदिया.  केंद्र सरकार द्वारा विशेष केंद्रीय सहाय्य अनुदान मिलने से पेसा ग्रापं को आर्थिक बल मिला. अब राज्य सरकार ने बिरसा मुंडा उत्कृष्ट पेसा ग्रापं स्पर्धा जाहिर की है. इसमें प्रथम आने पर ग्रापं को  बड़ी निधि मिलने से आदिवासी विकास प्रकल्प क्षेत्र के पेसा ग्रापं में प्रतिस्पर्धा होने की संभावना जताई जा रही है.

    भारतीय संविधान के अनुच्छेद 275 (1) अंतर्गत आदिम जनजाति विकास कार्यक्रम योजना अंतर्गत राज्य शासन द्वारा ग्रापं को निधि मिलती है. इसके अलावा केंद्र सरकार भी हर वर्ष केंद्रीय सहाय्य अंतर्गत अनुदान देती है. इन दोनों योजनाओं के अंतर्गत प्राप्त होने वाले अनुदान के लिए प्रस्ताव मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कार्यकारी समिति के मान्यता से केंद्र शासन के जनजाति मंत्रालय के पास प्रस्तुत किए जाते हैं.

    फिलहाल के प्रस्ताव अनुसार राज्य में 19 एकात्मिक आदिवासी प्रकल्प कार्यालय अंतर्गत पेसा ग्रापं से उत्कृष्ट ग्रापं की खोज करने, पेसा विधि विनियोग के संदर्भ में नियोजन व जनजागृति करना, पेसा ग्रापं का विकास होने के लिए उनमें स्पर्धा की भावना निर्माण करने के लिए बिरसा मुंडा उत्कृष्ट पेसा ग्रापं स्पर्धा आयोजित होगी.

    आदिवासी विभाग द्वारा हर वर्ष विभाग के कुल अर्थ संकल्प की 5 प्रश. निधि का प्रावधान किया जाता है. यह निधि पेसा ग्रापं के जनसंख्या के प्रमाण में वर्ग किया जाता है  लेकिन अभी भी कई ग्रापं विकास के मामले में पीछे ही है. विकास के लिए दी गई निधि 100 प्रश. खर्च नहीं की जाती. जिससे विकास करने की दृष्टि से प्रतिस्पर्धा निर्माण करने के लिए ग्रापं को प्रोत्साहन के रूप में मॉडल ग्रापं और पेसा यह योजना राज्य सरकार ने केंद्र के पास प्रस्तावित की थी. 

    ऐसा है स्पर्धा का स्वरूप

    पेसा ग्रापं को ग्राम विकास के अहवाल के संदर्भ में ग्रामीणों को प्रशिक्षण देना पड़ा. स्वास्थ्य, कुपोषण, शिक्षण, सामूहिक व्यवस्थापन, कौशल्य विकास व सूचना तंत्रज्ञान के संदर्भ में भी जागृति करना होगा. इसमें नागरिकों का सहयोग अनिवार्य रहेगा. तीन वर्ष के बाद पेसा ग्रापं का मूल्यमापन होगा. इसके अलावा अन्य शर्तें भी हैं. इसमें  प्रथम आए ग्रापं को अतिरिक्त निधि का लाभ भी दिया जाएगा.