भारी पड़ रहा बारिश का इंतजार, जिनके पास नहीं सिंचाई के साधन, उनकी फसल सूख रही

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    गोंदिया. जिले में कुछ-कुछ स्थानों पर कम अधिक बारिश हो रही है. रोहिणी, मृग तथा आर्द्रा नक्षत्र की औसतन बारिश किसानों के अपेक्षा के अनुरूप नहीं हुई है. बारिश ने किसानों के साथ आंख मिचौली का खेल शुरू किया है. मानसून का आरंभ होते ही परिसर में कहीं जोरदार बारिश हुई तो कहीं बूंदाबांदी भी नहीं हुई.

    मौसम विभाग के अनुसार इस बार अच्छी बारिश होगी ऐसा बताया गया. साथ ही ग्रह-नक्षत्र अच्छी बारिश लेकर आने के संकेत मिलने पर लगभग सभी किसानों ने खरीफ फसलों की बुआई की है. कहीं पौधे को अंकुर फूटे हैं तो कहीं बारिश का पानी नहीं मिलने से सूख गए हैं. जिन किसानों के पास कुएं के साधन हैं वे तो अपनी फसलों को बराबर पानी दे रहे हैं लेकिन जिनके पास सिंचाई के साधन नहीं हैं वे इसकी राह देख रहे हैं.

    सूर्य ने आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश किया लेकिन बारिश न होने से किसानों की आंखें अब आसमान की ओर लगी है. बारिश नहीं होने से बीजों में उगे अंकुरों की सिंचाई कैसे होगी यह प्रश्न किसानों के समक्ष खड़ा हो रहा है. कोरोना काल में किसानों को काफी परेशानी उठानी पड़ी है. साथ ही बिक्री के अभाव में कृषि उपज घरों में ही पड़ी हुई है. जो बेचा उससे भी ठीक मूल्य नहीं मिला. खेती माल बिक्री का पैसा कब मिलेगा इसकी भी चिंता किसान कर रहे हैं. 

    फसल सूखने की संभावना 

    घर में कुछ सोने के गहने बेचकर कई किसानों ने बुआई की लेकिन कभी धूप कभी छांव के खेल में उन्हें पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है. जिससे खेत में लगी फसल सूखने की संभावना जताई जा रही है. दोबारा बुआई  का संकट किसानों के सामने आ खड़ा है. किसानों के इस संक्रमण काल में अगर बारिश ने देर कर दी तो किसानों को काफी तकलीफ का सामना करना पड़ सकता है. किसानों का ध्यान बारिश पर लगा है. कभी कभार काले बादलों से आकाश भर आता है लेकिन बारिश लाने वाले यह मेघ कब गायब होते है पता ही नहीं चलता. बारिश तथा मेघों की लुकाछिपी बदस्तूर जारी है.

    वास्तव में खेती पर किसानों का जीवन बारिश के ऋतु चक्र पर अवलंबित है. बारिश गायब हुई कि किसानों का हाथ सिर पर तो आंखें आकाश की ओर देखने लगती हैं. मौसम में बदलाव के कारण हर वर्ष के समान परिस्थिति देखने मिलती है. बारिश समय पर तथा फसल योग्य समय पर आई तो फसलों की बढ़ोतरी ठीक तरह से होती है.

    बारिश के नौ नक्षत्रों ने साथ दिया तो किसानों की आर्थिक आमदनी बढ़ती है. लेकिन उपयुक्त बारिश न होने के कारण फसल बर्बाद हो गई या दोबारा बुआई करनी पड़ी तो किसानों की हालत खराब हो जाती है. बदलते प्रकृति चक्र में मानसून भी अपना तेवर बदल रहा है. जिससे किसान परेशान होता देखने मिलता है.

     

    फिलहाल फसलों को पानी की अधिक आवश्यकता है. फसलों को पानी की जरुरत पूरी होने पर फसलें बढऩे से उसके उत्पाद से समृद्धि की राह सुखद होने के आसार होते हैं.