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गोंदिया. कोरोना वायरस संक्रमण के कारण प्रत्यक्ष में शाला शुरु होने तक शिक्षकों को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा राज्य शासन ने दी है. लॉकडाउन शिथिल होने के बाद शिक्षकों को शाला में उपस्थित रहने संबंधी अलग अलग जिलों में अलग अलग सुचना पारित होने से शिक्षकों में बड़ा भ्रम निर्मित हो गया था. इस संदर्भ में शासन स्पष्ट भूमिका रखे ऐसी मांग की गई थी. जिससे शालेय शिक्षण व क्रीड़ा विभाग ने आदेश जारी किया है.

विदर्भ में शैक्षणिक सत्र की (अनुमानित) 26 जून से ऑनलाइन शुरुआत हो गई है. विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तके भी वितरित किए गए है. विद्यार्थियों की शिक्षा ऑनलाइन पध्दति से शुरु है. लेकिन शिक्षकों की शाला में प्रत्यक्ष उपस्थिति को लेकर अलग अलग जिलों में भिन्न भिन्न सुचना दी जा रही है. जिससे शिक्षकों में भ्रम निर्मित हो गया था. इस पर अनेक शिक्षक संगठनों ने आपत्ती दर्ज की थी. इसके बाद राज्य शासन ने गुरुवार को स्पष्ट आदेश जारी किया.

इस आदेश के अनुसार शिक्षकों को प्रत्यक्ष शाला शुरु होने तक वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दी गई है. इसमें सभी महिला शिक्षिका, ब्लड प्रेशर, मधुमेह व अन्य बीमारी से ग्रस्त तथा 55 वर्ष से अधिक आयु वाले शिक्षकों को सीधे शाला शुरु होने तक घर से काम करने की अनुमति दी गई है. वहीं अन्य शिक्षकों को शाला पूर्व तैयारी संदर्भ में व ई लर्निंग संदर्भ में मुख्याध्यापकों के सप्ताह में एक या दो बार शाला में उपस्थित रहना पड़ सकता है. ऐसे स्पष्ट निर्देश शासन ने दिए है.

शासन का निर्णय अंतिम
राज्य शासन के शालेय शिक्षण व क्रीड़ा विभाग ने जारी किए परिपत्रक के अनुसार शाला शुरु करने संदर्भ में व शिक्षकों की उपस्थिति संदर्भ में सभी अधिकार शाला व्यवस्थापन समिति व स्थानीय प्रशासन को दिए है. इतना ही नही क्षेत्रिय अधिकारियों को उनकी अनुमति के बिना कोई भी निर्देश न दे ऐसा भी स्पष्ट किया गया है.

कोरोना के कामकाज से मुक्ति
इसी तरह वर्तमान में कोविड 19 बीमारी से संबंधित कामकाज के लिए जिन शिक्षकों की सेवा अधिग्रहित की गई होगी ऐसे सभी शिक्षकों को कार्यमुक्त करने के लिए शिक्षणाधिकारी ने आपत्ती प्रशासन से कार्रवाई करने के आदेश दिए है. शासन के इस निर्णय से शिक्षकों को बड़ी राहत मिल गई है.