New antibody inhibits spread of Covid-19 in cells: Study
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दुनियाभर में कोरोना के मरीज़ 31,425,029 है। उनमें से भारत में Covid-19 के शिकार 56 लाख से ज़्यादा लोग हो गए हैं। जिनमें से 90 हज़ार से ज़्यादा लोगों ने अपनी जान गवां दी है। देश का यह आकड़ां दुनिया में अमेरिका के बाद सबसे ज़्यादा है। लेकिन आपको बता दें कि, भारत में इतने केस होने के बावजूद इस बीमारी से सबसे ज़्यादा ठीक होने वाले लोग भारत के ही हैं। भारत में 80% से ज़्यादा कोरोना मरीज़ ठीक हो चुके हैं। 

भारत में मृत्यु दर कम और रिकवरी रेट ज़्यादा क्यों?

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे और उनकी टीम लंबे समय से यह रिसर्च कर रही थी कि भारत में इतने मरीज़ होने के बावजूद मृत्यु दर काम कम और रिकवरी रेट ज़्यादा क्यों हैं ? अब उसके नतीजे आ गए हैं। प्रोफेसर कहते हैं कि, इस रिसर्च में उन्होंने पाया कि भारत में लोगों की सेल्फ इम्युनिटी बहुत ज़्यादा है जिसकी वजह से कोरोना भारत  लोगों से हार रहा है।

इस स्टडी में प्रोफेसर ज्ञानेश्वर ने दुनिया के अलग-अलग देशों के इंसानों के जीनोम कलेक्ट किए। जहां उन्होंने पाया कि भारत के लोगों के जीन में हर्ड इम्युनिटी से ज़्यादा कोरोना प्रतिरोधक क्षमता है। यह क्षमता लोगों के शरीर की कोशिकाओं में मौजूद एक्स क्रोमोसोम के जीन “एसीई-2 रिसेप्टर” (गेटवे) से मिलती है। इसी वजह से जीन पर चल रहे म्यूटेशन कोरोनावायरस को सेल्स में जाने से रोक देते हैं। इस म्यूटेशन का नाम- RS-2285666 है। वहीं भारत के लोगों के जीनोम में इतने यूनीक टाइप के म्यूटेशन हैं, जिसकी वजह से देश में मृत्युदर कम और रिकवरी रेट सबसे ज़्यादा है।

एसीई-2 रिसेप्टर-

भारत के 60%लोगों के जीन में एसीई-2 रिसेप्टर शक्तिशाली रूप में मौजूद है। वहीं कोरोनावायरस सबसे पहले एसीई-2 रिसेप्टर पर अटैक करता है। लेकिन भारतीयों में ये जीन बहुत मजबूत होने के कारण देश में कोरोना का इतना ज़्यादा असर नहीं हो रहा है। जबकि यूरोपीय और अमेरिकी लोगों में ये जीन सिर्फ 7% से 14% ही पाया जाता है। इसके चलते कोरोना का असर पश्चिमी देशों में ज़्यादा देखने को मिल रहा है, जिसकी वजह से मृत्युदर भी बहुत ज़्यादा है। 

जीनोम क्या है?

किसी भी जीव के डीएनए में मौजूद समस्त जीनों की चेन को जीनोम कहते हैं। प्रोफेसर चौबे के अनुसार एक व्यक्ति में 3.2 अरब कोशिकाएं मिलती हैं, हर एक में डीएनए पाया जाता है। यही डीएनए कोशिकाओं को निर्देशित करती हैं कि उनके लिए कौन से ज़रूरी काम हैं और कौन से नहीं हैं। यही डीएनए जब किसी वायरस का शरीर पर अटैक होता है तो उन्हें मार भगाने के लिए भी निर्देश देती हैं। डीएनए में 1 से लेकर 22 तक क्रोमोसोम होते हैं। जिन्हें हम एक्स और वाई क्रोमोसोम के नाम से जानते हैं। इनमें से एक्स क्रोमोसोम पर एसीई-2 रिसेप्टर पाया जाता है, जिस पर ये कोरोनावायरस अटैक करता है। एसीई-2 रिसेप्टर भी जीनोम का ही एक हिस्सा है। 
रिसर्च के लिए प्रोफेसर चौबे ने यूरोप, अफ्रीका, अमेरिका, एशिया से लेकर साइबेरिया और पापुआ न्यू गिनी तक के 483 लोगों का जीनोम सैंपल लिया। इसके बाद यूरोप और अमेरिका का एक जीनोम कलेक्शन है, जिसे 1000 जीनोम बोलते हैं, उसमें 2000 से ज़्यादा लोगों के जीनोम सैंपल थे।

इस रिसर्च के पीछे मकसद क्या था और किस पेपर में पब्लिश हुआ?
प्रोफेसर ज्ञानेश्वर कहते हैं कि कोरोना काल शुरू होते ही लोगों की तरह हमारे मन में भी बहुत सारे सवाल थे। उन्हीं चीज़ों को खंगालने के लिए हमने दुनिया भर से लोगों के जीनोम सैंपल जुटाए रिसर्च की है। इसमें अलग-अलग विश्वविद्यालयों के कोलोब्रेटर ने हमारी मदद की है।

यह अमेरिका के पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुआ है। प्रोफेसर कहते हैं कि इस रिसर्च के लिए हमने जनवरी में ही काम शुरू कर दिया था और अप्रैल तक जीनोम सैंपल कलेक्ट कर लिया था। 

बाकी देशों की तुलना में भारत में डेथ रेट क्या है?

भारत में प्रति दस लाख आबादी में कोरोना से औसतन 64 मौतें हुई हैं। वहीं दुनिया के अन्य देशों जैसे स्पेन में 652, ब्राजील में 642, यूके में 615, यूएस में 598, मेक्सिको में 565, फ्रांस में 477 और कोलंबिया में 469 लोगों की प्रति दस लाख आबादी में मौत हुई है। दुनिया में औसत प्रति 10 लाख आबादी में 123 है।

बाकी देशों की तुलना में भारत में रिकवरी रेट क्या है?

भारत में कोरोना का रिकवरी रेट 80.86% है। भारत में दस लाख आबादी में 4,031 कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए हैं। ब्राजील में 21,303 केस, अमेरिका में 20,253, कोलंबिया में 14,749 और स्पेन में 14,749 केस आ रहे हैं। देश में हर दिन ये रिकवरी रेट बढ़ती जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले भारत अच्छी स्थिति में है।